2017-09-10 11:33:00

बारिश से भीगे मेडेलिन में सन्त पापा फ्राँसिस का जय-जयकार


मेडेलिन, कोलोम्बिया, रविवार, 10 सितम्बर 2017 (रेई, वाटिकन रेडियो): घनघोर वर्षा के बीच शनिवार को सन्त पापा फ्राँसिस निर्धनों, अनाथों एवं रोगियों को सान्तवना देने कोलोम्बिया के मेडेलिन शहर पहुँचे। मेडेलिन में पुरोहितों एवं सामान्य विश्वासियों का उन्होंने आह्वान किया कि वे कलीसिया के कठोर एवं कड़े सिद्धान्तों के परे जाकर हाशिये पर रहने वाले लोगों की देखभाल करें क्योंकि "कलीसिया सीमा शुल्क का नाका नहीं है अपितु वह सबके लिये अपने द्वार खोलना चाहती है।" उन्होंने कहा कि प्रभु ख्रीस्त के शिष्यों के लिये सबसे महत्वपूर्ण बात किसी विशिष्ट शैली या प्रथा या फिर कठोर नियमों से चिपकना नहीं है क्योंकि ये येसु की दया को धूमिल कर कलीसिया को पंगु बना देते हैं।

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु कोलोम्बिया में अपनी पाँच दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम चरण में पहुँच चुके हैं। मेडेलिन के बाद, कोलोम्बिया में यात्रा के अन्तिम दिन, कार्तागेन्या में, अफ्रीकी गुलामों की प्रेरितिई में संलग्न, 17 वीं शताब्दी के येसुधर्मसमाजी, सन्त पीटर क्लावेर के प्रति श्रद्धा अर्पण कर सोमवार 11 सितम्बर को वे पुनः रोम लौट रहे हैं।

मेडेलिन कोलोम्बिया का दूसरा सर्वाधिक विशाल शहर है। मादक पदार्थों से जुड़े अपराधी गुटों के प्रमुख अड्डे रूप में भी यह शहर कुख्यात रहा है। मादक पदार्थों की तस्करी के कारण विगत दशकों में हज़ारों लोग मौत के घाट उतार दिये गये तथा कई विकलांग एवं अनाथ हो गये हैं। इस अवैध व्यापार ने मेडेलिन के आर्थिक एवं प्राकृतिक संसाधनों को भी भारी क्षति पहुँचाई है। इन सबके बावजूद सुहावने मौसम के लिये विख्यात मेडेलिन शहर को "अनन्त वसन्त" की संज्ञा से भी विभूषित किया गया है।

शनिवार को वर्षा ने मेडेलिन एवं पड़ोसी इलाकों में अपना कहर दिखाया और सन्त पापा फ्राँसिस को अन्तिम क्षणों में अपना निर्धारित कार्यक्रम बदलना पड़ा। मेडेलिन के परिसर में "रियोनेग्रो"  अन्तरराष्ट्रीय विमान पत्तल से हेलीकॉप्टर द्वारा "एनरिको ओलाया हेर्रारा"  हवाई अड्डे जाने के बजाय उन्होंने 20 किलो मीटर की यह दूरी मोटर गाड़ी से तय की तथा ख्रीस्तयाग समारोह स्थल पर लगभग एक घण्टे देर से पहुँचे। किन्तु न तो घनघोर वर्षा और न ही सन्त पापा के विलम्ब ने लोगों का मनोबल तोड़ा जो अपने खास मेहमान के दर्शन के लिये रंग-बिरंगे प्लास्टिक के पोन्चो पहने सड़कों पर निकल आये थे। देरी के लिये सन्त पापा ने विश्वासियों से माफी मांगी तथा उनके धैर्य, दृढ़ता और साहस के लिये शुक्रिया अदा किया। गहन उत्साह एवं उमंग से उन्होंने "फ्राँसिसकुस, फ्राँसिसकुस" के जयनारे लगाये, सफेद रुमालों एवं रंगीन ध्वजों को फहराया तथा बूंदा-बूदी की परवाह किये बिना लगभग दस लाख की संख्या में ख्रीस्तयाग समारोह में शामिल होने के लिये उपस्थित हुए। 








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