2017-09-07 16:09:00

संत पापा ने कोलंबिया के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की


बोगोटा, बृहस्पतिवार, 7 सितम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने कोलंबिया की पाँच दिवसीय यात्रा के प्रथम चरण में, कोलंबिया के राष्ट्रपति हुवान मानुएल संतोष, राजनयिकों, विशिष्ठ अधिकारियों और समाज के प्रतिनिधियों से राजधानी बोगोटा स्थित काजा दे नारिन्हा राष्ट्रपति भवन के ″प्लाजा दे आरमास″ प्रांगण में मुलाकात की तथा उन्हें अपना संदेश दिया।

उन्हें सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, ″मैं आपका हार्दिक अभिवादन करता हूँ श्रीमान, हुवान मानुएल संतोष, कोलंबिया के राष्ट्रपति तथा इस दौरे हेतु आपके विनम्र निमंत्रण के लिए धन्यवाद देता हूँ, खासकर, इतिहास के महत्वपूर्ण समय में।″

मैं अपने पूर्व अधिकारी धन्य संत पापा पौल षष्ठम एवं संत पापा जोन पौल द्वितीय के पदचिन्हों पर चलते हुए कोलंबिया आया हूँ। उन्हीं की तरह मैं भी कोलंबिया के भाई-बहनों को विश्वास के वरदान को बांटने हेतु प्रेरित हूँ। जिसका बीज इस भूमि पर गहरा जड़ पकड़ चुका है। मैं आशा करता हूँ कि यह सभी के हृदय में बढ़ता रहे। विश्वास एवं आशा के माध्यम से ही हम देश जो कि सभी कोलंबिया वासियों की मातृभूमि और घर है, उसके निर्माण के रास्ते पर बहुत सारी कठिनाईयों से बाहर आ सकते हैं। 

कोलंबिया एक ऐसा राष्ट्र है जो कई तरह से धन्य है, इसका उदार स्वभाव न केवल इसकी सुन्दरता की ओर आकृष्ट करता किन्तु इसकी जैव विविधता का सावधानी पूर्वक सम्मान की मांग करता है। कोलंबिया जैव विविधता के मामले में विश्व में दूसरा स्थान रखता है। इस भूमि पर यात्रा करते हुए कोई भी इस बात का एहसास जरूर कर सकता है कि ईश्वर कितने भले हैं। (स्तोत्र 33.9) वहाँ के जंगलों में पौधों और जीवों की विशाल विविधता देखी जा सकती है। उसी तरह इस देश की संस्कृति भी जीवंत है किन्तु सबसे बढ़कर, कोलंबिया अपनी जनता के मानव मूल्यों के कारण धनी है जो स्वागत एवं उदार हृदय वाले हैं तथा बाधाओं के सामने साहसी एवं दृढ़।

यह मुलाकात मुझे विगत दशकों में हिंसा का अंत एवं मेल-मिलाप का रास्ता खोजने के सभी प्रयासों पर आपकी सराहना करने का अवसर दे रहा है।

पिछले एक साल में इसमें महत्वपूर्ण प्रगति हुई है जो कदम लिया गया है वह आशा उत्पन्न करता है, उस दृढ़ विश्वास पर जो उदार प्रयास द्वारा शांति की खोज करती है। यह प्रयास सहज नहीं है। यह प्रत्येक के समर्पण की मांग करता है। यह प्रयास चुनौती दे रहा है, हमारे प्रयासों को कमजोर करने के लिए नहीं किन्तु देश की एकता के गठन हेतु।

शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को प्राप्त करने के रास्ते पर बाधाओं, विविधताओं एवं विचारों की भिन्नता के बावजूद, यह कार्य मुलाकात की संस्कृति को प्रोत्साहन देने हेतु धीरज बनाये रखने का अह्वान कर रही है। 

यह हमसे मांग करता है कि हम राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक सभी क्रिया-कलापों में मानव व्यक्ति को केंद्र में रखें, जो सार्वजनिक हित में सबसे अधिक प्रतिष्ठा और सम्मान का हकदार है। यह दृढ़ संकल्प हमें प्रतिशोध के प्रलोभन एवं पक्षपातपूर्ण रुचियों में संतुष्टि की भावना से दूर भागने में मदद करे। शांति एवं मेल-मिलाप की ओर अग्रसर करने वाली पथ पर हम जितना अधिक चलना चाहें उतना ही अधिक एक-दूसरे को जानने की जरूरत है, एक-दूसरे के घावों को चंगा करने, सेतु का निर्माण करें, संबंधों को सुदृढ़ करने एवं एक-दूसरे का साथ देने की।  (एवंनजेली गौदियुम 67)

संत पापा ने कहा कि इस देश का आदर्श वाक्य है, ″स्वतंत्रता एवं व्यवस्था″। उन्होंने कहा, ″इन्हीं दो शब्दों में सम्पूर्ण पाठ निहित है। नागरिकों को उनकी स्वतंत्रता के आधार पर मूल्य दिया जाना चाहिए तथा उनकी स्थायी व्यवस्था की रक्षा की जानी चाहिए। कानून अपने आप में शक्तिशाली नहीं है बल्कि सभी के द्वारा स्वीकृत कानून की शक्ति अधिक ताकतवर है जो एक शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को नियंत्रित करता है। हमें सही नियमों की आवश्यकता है जो सौहार्द की भावना सुनिश्चित कर सके तथा संघर्ष, जिसने कई दशकों तक देश को टुकड़ों में विभक्त कर रखा, उससे बाहर निकलने में मदद कर सके। नियम आवश्यक है जो समाज को व्यवस्थित करने की व्यावहारिक जरूरत से उत्पन्न नहीं होती बल्कि बहिष्कार एवं हिंसा की ओर ले जाने वाली गरीबी के संरचनात्मक कारणों को हल करने की इच्छा से आती है। केवल इसी के माध्यम से उस बीमारी का इलाज संभव है जो समाज की प्रतिष्ठा में कमजोरी और अभाव लाता है जो इसे हमेशा एक दुर्बल स्थिति में नये संकट के लिए छोड़ देती है। हम यह कभी न भूलें कि असमानता सामाजिक बुराई की जड़ है। (एवंनजेली गौदियुम- 202).

संत पापा ने कहा, ″इस दृष्टिकोण से, मैं प्रोत्साहन देता हूँ कि आप उन लोगों की ओर देखें जो आज समाज द्वारा बहिष्कृत हैं अथवा हाशिये पर जीवन यापन कर रहे हैं।  जिनका बहुसंख्यक लोगों की नज़रों में कोई मूल्य नहीं है, जिन्हें पीछे छोड़ दिया जाता है दरकिनार कर दिया जाता है। समाज के निर्माण एवं विकास हेतु प्रत्येक के कार्य की आवश्यकता है। यह केवल ‘शुद्ध रक्त’ से नहीं बल्कि सभी के साथ केवल हासिल किया जा सकता है और इसी में एक देश की महानता एवं खूबसूरती निहित है जहाँ सभी योग्य समझे जाते एवं सभी महत्वपूर्ण होते हैं। विविधता ही वास्तविक समृद्धि है।

संत पापा ने संत पीटर क्लेवर की याद करते हुए कहा, ″मैं संत पीटर क्लेवर की पहली यात्रा की कल्पना करता हूँ जिन्होंने कार्ताजेना से बोगोटा की यात्रा की थी तथा वहां से मगदलेना गये थे। उस समय से लेकर अभी तक, हम विभिन्न जातियों को तथा किसानों के दूरस्थ क्षेत्र को पाते हैं। हमारी दृष्टि कमजोर, उपेक्षित एवं बुरे व्यवहार के शिकार लोगों पर टिकी है जो आवाजहीन हैं, शायद इसलिए क्योंकि वह उनसे ले लिया गया है अथवा उन्हें कभी नहीं दिया गया है क्योंकि उनकी उपेक्षा की गयी है। हम महिलाओं को, उनके योगदान, क्षमता एवं उनके माता होने के महान कार्य को पहचानें। कोलंबिया को उन लोगों के साथ की आवश्यकता है जो भविष्य को आशा के साथ देखते हैं।

संत पापा ने कलीसिया के मिशन की याद करते हुए कहा, ″कलीसिया के विश्वासी अपनी प्रेरिताई में शांति, न्याय और सभी की भलाई के लिए समर्पित है। कलीसिया इस बात के प्रति सचेत है कि सुसमाचार के सिद्धांतों का कोलंबियाई कलीसिया में एक महत्वपूर्ण आयाम है, इस प्रकार, यह देश के विकास में बड़ा योगदान दे रहा है, विशेषकर, मानव जीवन के पुनीत सम्मान के लिए, सबसे बढ़कर, अत्यन्त कमजोर एवं असहाय लोगों के लिए। यह हिंसा मुक्त समाज के निर्माण में कोने का पत्थर है।″  

परिवारों पर ध्यान देते हुए उन्होंने कहा कि परिवार को सामाजिक महत्व दिये बगैर नहीं रह सकते जो ईश्वर की योजना द्वारा दम्पत्य प्रेम का फल है। यह वह स्थान है जहाँ विविधताओं के बावजूद दूसरों के साथ जीना एवं एक-दूसरे का होना सीखते हैं।

संत पापा ने नेताओं से आग्रह किया कि वे ग़रीबों एवं पीड़ितों की पुकार सुनें। उनकी आँखों में देखें तथा उनके दर्द भरे चेहरों और अर्जी करते हाथों द्वारा अपने आप को लगातार सवाल करने दें। उनके द्वारा हम जीवन, मानवता एवं प्रतिष्ठा की सच्ची सीख ले सकते हैं क्योंकि जो अपनी बेड़ियों में से पुकारते हैं वे उनके शब्दों को अच्छी तरह समझ सकते हैं जो क्रूस पर मर गये, जैसा कि आपके राष्ट्रीय गान में है।  

संत पापा ने सभी अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, ″आपके सामने एक महान मिशन है जो कि कठिन भी है। महान कोलंबियाई देशभक्त, गेब्रियल गार्सिया मार्सिज़ की अभिलाषा, प्रत्येक नागरिक के दिल में गूंजे, जिनका कहना था, ″ उत्पीड़न, लूट और परित्यक्त होने के बावजूद, हम जीवित प्रत्युत्तर देते हैं। न तो बाढ़, न ही विपत्तियां,  न दुर्घटनाएं, न हत्या और न ही अनन्त युद्ध भी, मृत्यु के ऊपर जीवन के दृढ़ लाभ पर दबाव डालने में सक्षम है। लाभ जो बढ़ रहा है और त्वरक है। इस प्रकार जो सम्भव है वह जारी है वह जीवन का नया और व्यापक स्वप्न है जहाँ कोई भी दूसरे व्यक्ति के लिए यह निर्णय नहीं कर सकता है कि उसे किस तरह मरना है। जहाँ प्रेम सच्चा होगा तथा आनन्द सभी के लिए संभव होगा, जहाँ जातीयता की भावना हमेशा के लिए दूर हो जायेगी तथा पृथ्वी पर हमें पुनः एक मौका मिलेगा।

उन्होंने कहा कि बहुत अधिक घृणा एवं बदले की भावना हो सकती है किन्तु हम किसी तरह की हिंसा नहीं चाहते हैं जो जीवन का रोकता अथवा नष्ट करता है। मैं यहाँ आप लोगों को यह बतलाने आया हूँ कि आप अकेले नहीं हैं, बहुत सारे लोग हैं जो आपको इस कदम को लेने में साथ दे रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य है कि मेल-मिलाप एवं शांति के रास्ते पर आगे बढ़ने में आप सभी का साथ दे सकूँ।  








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