2017-09-04 16:05:00

क्रूस बिना येसु का अनुसरण संभव नहीं


वाटिकन सिटी, सोमवार 04 सितम्बर 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में रविवारीय देवदूत प्रार्थना हेतु जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को  संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात

आज का सुसमाचार पिछले सप्ताह के सुसमाचार का अगला अंश है जहाँ हम पेत्रुस अर्थात “चट्टान” के विश्वास के बारे में सुना जिसपर येसु अपनी कलीसिया की स्थापना करने की चाह रखते हैं। आज के सुसमाचार में मत्ती पेत्रुस के विरोध की चर्चा करते हैं विशेष कर उस समय जब येसु अपने शिष्यों को येरुसलेम प्रवेश के बारे में बतलाते हुए अपने ऊपर आने वाली दुःख, मृत्यु और पुनरुत्थान के बारे में समझने की कोशिश करते हैं। पेत्रुस अपने गुरुवर को किनारे ले जाते और उन्हें समझने की कोशिश करते हैं कि उनके द्वारा कही गई बातें उन पर घटित न हो। इस पर येसु उसे कठोर शब्दों में फटकारते हुए कहते हैं,“हट जाओ शैतान, तुम ईश्वरीय योजना के अनुसार नहीं वरन मनुष्यों की बातें सोचते हो।” संत पापा ने कहा कि हम पेत्रुस को एक क्षण ईश्वर के कृपापात्र के रुप में पाते हैं जिसके लिए ईश्वरीय रहस्य प्रकट की गई है और वह एक चट्टान की भाँति है जिसमें येसु अपनी कलीसिया की स्थापना करने की बात कहते हैं लेकिन वहीं तुरन्त हम उसे येसु के मुक्तिदायी कार्यों में एक रोड़ा बनते हुए पाते हैं।

इसके उपरान्त स्वामी अपने अनुसरण करने वालों को अपनी शिक्षा में स्पष्ट रुप से कहते हैं, “यदि कोई मेरे अनुसरण करना चाहे तो वह आत्म त्याग करें और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले।” संत पापा ने कहा कि हम अपने जीवन में क्रूस के बिना येसु का अनुसरण करना चाहते हैं। पेत्रुस की भाँति हम ईश्वर को एक सही मार्ग दिखलाने की कोशिश करते हैं यह कहते हुए,“नहीं, नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए, यह कभी न हो।” लेकिन येसु हमें याद दिलाते हैं कि उनका मार्ग प्रेम का मार्ग है और हम बिना त्याग किये उस प्रेम के सच्चे मार्ग में नहीं चल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम दुनिया की सोच-विचार में खोये होने हेतु नहीं वरन अपने ख्रीस्तीय विश्वास में सजगता पूर्वक चलने हेतु बुलाये गये हैं।

येसु अपने वचनों द्वारा हमारे लिए उस विवेक पूर्ण शिक्षा को प्रस्तुत करते हैं जो हमें अपनी मानसिकता और अपने स्वार्थ पूर्ण व्यवहार से बाहर निकले को कहती है। वे हमें कहते हैं, “जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसके सुरक्षित रखेगा।” (मत्ती.16.25)  इस विरोधोक्ति में हम येसु के सुनहले नियम को पाते हैं जो मनुष्यों के स्वभाव, उनके हृदय में अंकित है, यह केवल प्रेम है जो हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाता और हमें खुशी से भर देता है। हम अपने जीवन में अपनी क्षमता और गुणों का उपयोग, अपनी शक्ति और समय का उपयोग सिर्फ अपने लिए करते तो यह हमारे जीवन में एक प्रकार की शुष्कता और निराश की अनुभूति लाती है। लेकिन जब हम अपने जीवन को प्रेम में येसु के लिए, अन्यों के लिए जीते तो यह हमारे जीवन को खुशी से भर देता है। ऐसा करने से हम अपने जीवन में एक सच्ची खुशी का एहसास करते और हमारा जीवन फलदायक होता है, क्योंकि येसु ने ऐसा ही किया।

संत पापा ने कहा कि मिस्सा बलिदान में हम येसु के क्रूस के रहस्य को पाते हैं, हम न केवल उसी याद करते वरन हम उस मुक्तिदायी बलिदान को अपने जीवन में जीते और मनाते हैं जहाँ ईश पुत्र ने अपने जीवन को सम्पूर्ण रुप से अपने पिता के लिए अर्पित कर दिया जिससे वह हम खोये हुए मानव और सारी सृष्टि को पुनः प्राप्त कर सके। प्रत्येक मिस्सा बलिदान में हमारी सहभागिता हमें क्रूसित येसु के प्रेम और उनके पुनरुत्थान की याद दिलाती है जहाँ हम अपने को उन्हें भोजन और जीवन जल के रुप में पाते हैं जिसके द्वारा हम अपने को अपने भाई-बहनों की सेवा हेतु ठोस रुप में देने योग्य बनते हैं।

माता मरियम जिन्होंने कलवारी तक येसु का साथ दिया हमारे संग रहे जिससे हम क्रूस के भय से मुक्त होकर अपने जीवन में अपने भाई-बहनों के खातिर प्रेम में, येसु के संग अपने क्रूस को वहन कर सकें। येसु के साथ हमारा यह क्रूस ढोना हमें पुनरुत्थान के फल प्रदान करे।  इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने विश्वासी और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

अपने देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने दक्षिणी एशिया के बाढ़ प्रभावित लोगों हेतु अपनी संवेदना अर्पित की। उन्होंने टेक्सास और लुइसियाना के तूफान प्रभावितों को भी अपनी संवेदना का सामीप्य अर्पित किया जिसके प्रकोप से हज़ारों की संख्या में लोगों को जान-माल और क्षति का समाना करना पड़ा है। उन्होंने माता मरियम की बिचवाई करते हुए बाढ़ प्रभावितों हेतु प्रार्थना की। तदोउपरान्त उन्होंने इटली और विश्व के भिन्न स्थानों से आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का विशेषकर सारमेरदे, वितोरिया भेन्तो धर्माप्रान्त के अनजानो से आये सदस्यों, कानारी द्वीप के विश्वासियों और कीजोला, कालीयारी और बेलाजियो के बच्चों का अभिवादन किया और अंत में सभों के ऊपर ईश्वरीय आशीष की कामना की और अपने लिए प्रार्थना का नम्र निवेदन करते हुए सभों को रविवारीय शुभकामनाएँ अर्पित कीं।








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