2017-08-09 15:41:00

हमलों का विरोध करने हेतु ख्रीस्तीय नेताओं का आह्वान


नई दिल्ली, बुधवार, 9 अगस्त 2017 (ऊकान): भारत में ईसाई धर्मगुरूओं द्वारा बहुलवाद की रक्षा करने तथा ईसाई, मुस्लिम एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों का विरोध करने हेतु उनका आह्वान किया है।

काथलिक एवं प्रोटेस्टंट धर्मगुरूओं, ख्रीस्तीय ईशशास्त्री, शिक्षाविदों और विभिन्न संगठनों के सदस्यों को सम्बोधित एक खुले गैर-सांप्रदायिक पत्र में हिंदू राष्ट्रवाद पर चिंता व्यक्त की गयी है कि ″जो कभी हाशिये पर हुआ करती थी वह अब मुख्य धारा बन चुकी है।″    

यह पत्र मुसलमानों पर बढ़ते हुए हमलों के खिलाफ की पृष्ठभूमि है, जिसमें हिंदुओं द्वारा गायों को बचाने के नाम पर भीड़ द्वारा हिंसा के कई मामले शामिल हैं। इस पत्र में धार्मिक हिंसा के खिलाफ ख्रीस्तीय कलीसियाओं के बीच समन्वित कार्रवाई की कथित कमी का एक अस्पष्ट संदर्भ प्रस्तुत किया गया है।

ख्रीस्तीय समुदाय खुद महसूस कर रही है कि हिन्दू समर्थक भारतीय जनता पार्टी जब से सत्ता पर आयी है हिंसा में वृद्धि हुई है। पिछले तीन सालों में ईसाइयों के खिलाफ 600 से ज्यादा हिंसा की घटनाएं हुई हैं।

ख्रीस्तीय नेताओं को सम्बोधित पत्र में कहा गया है कि साहसिक कदम उठाने तथा मानवीय और संवैधानिक मूल्यों के क्षरण को रोकने के लिए, सिविल समूहों के साथ जुड़ने का समय आ गया है।

कहा गया है कि "सभी धर्मों, विचारधाराओं के सदस्यों के साथ एकजुट होकर, शांति को मजबूत करने, संघर्ष को सुलझाने और राजनीति में मूल्यों की भावनाओं को लाकर हमें भारत के जबरदस्त आध्यात्मिक संसाधनों को सुव्यवस्थित करना चाहिए"।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास ने इस पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ऊका समाचार से कहा, ″हमारा द्वार सभी के लिए खुला है। इस प्रकार के पत्रों के आने एवं उनपर विचार-विमर्श करने के लिए हम खुले हैं।″

उन्होंने कहा कि कलीसिया अपने सिद्धांतों द्वारा खड़ी है और "ध्रुवीकरण, नफरत और हिंसा की विचारधाराओं के विरुद्ध" हैं। हम देश एवं कलीसिया की भलाई के लिए सब से वार्ता करना जारी रखेंगे।

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य और पत्र के हस्ताक्षरकर्ता ए. सी. मिखाएल ने ऊका समाचार से कहा कि हालांकि इसमें कलीसिया के नेताओं को संबोधित किया गया है, किन्तु पत्र प्रत्येक ईसाई को न्याय के लिए एकजुट और खड़ा करने का आह्वान कर रहा है।

उड़ीसा के मानव अधिकार कार्यकर्ता फादर अजय सिन्ह ने कहा कि पत्र का उद्देश्य ईसाई समुदाय द्वारा समन्वित प्रयासों को बढ़ावा देना है। उन्होंने शिकायत की कि सत्तारूढ़ भाजपा के तत्वों ने एक हिंदू प्रधान भारत के विचार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हमें चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट होना है।








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