2017-08-03 17:09:00

झारखंड में धर्म परिवर्तन कानून, कार्डिनल टोप्पोः कलीसिया द्वारा बलात धर्म परिवर्तन नहीं


राँची, गुरुवार, 03 अगस्त 2017 (एशिया न्युज) भारत के झारखंड राज्य में भाजपा की सरकार ने धर्म परिवर्तन कानून पारित किया।

भाजपा द्वारा शासित झारखंड राज्य की सरकार ने धर्म परिवर्तन की रोकथाम हेतु धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक नया कानून पारित किया है। इस कानून का उल्लंघन करने वालों को तीन साल की सज़ा और 50,000 रुपया या दोनों की सजा सुनाई जा सकती है।

इस कानून के तहत नाबालिग लड़कियों और आदिवासी महिलाओं (अनुसूचित जनजाति) का धर्म परिवर्तन करने वाले पर और अधिक कठोर दंड का प्रावधान है। इस मामले में, अपराधी को 1,00,000 रुपये जुर्माना के आलवे चार साल की सजा सुनाई जा सकती है।

विदित हो कि अगर कानून 8 अगस्त को स्थानीय संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है तो झारखंड राज्य बल पूर्वक धर्म परिवर्तन कानून को पारित करने वाला भारत का सातवां राज्य बन जायेगा। धर्म परिवर्तन के खिलाफ क़ानून पहले से ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में लागू हैं।

इस संदर्भ में राँची महाधर्माप्रन्त के महाधर्माध्य कार्डिलन तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने अपने विचार व्यक्त करते हुए एशिया न्युज से कहा, “यह नियम धर्म परिवर्तन के खिलाफ नहीं वरन बलात धर्म परिवर्तन के बारे में है जबकि कलीसिया में यह कभी नहीं हुआ है। हम अपने में स्वतंत्र हैं और अपनी स्वतंत्रता में अपनी अन्तरात्मा की बात सुनते हैं। कोई किसी का बल पूर्वक धर्म परिवर्तन नहीं करा सकता है।” 

उन्होंने संवाददाताओं से बातें करते हुए कहा कि वर्षों से हमने स्कूल, महाविद्लायों और स्वास्थ्य संस्थानों का संचलन करते हुए राज्य के गरीबों, असहायों और परित्यक्त लोगों की सेवा की है। हमने लाखों लोगों में से किसी पर भी ख्रीस्तीय धर्म को स्वीकार करने हेतु दबाव नहीं डाला।

टाईम आफ इंडिया के अनुसार झारखंड सरकार ने 2011 की जनसंख्या को देखते हुए इस मुद्दे को उठा है, जिसके अनुसार राज्य के 35 लाख आबादी में 27 प्रतिशत आदिवासियों की संख्या है जिसमें 4.3 प्रतिशत ख्रीस्तीय, 14.53 प्रतिशत मुस्लिम है। विगत 10 वर्षों के आँकड़ों से मुताबिक हिन्दुओं की संख्या में 21 प्रतिशत की वृद्धि, मुसलमानों में 28.4 प्रतिशत जबकि ईसाई की जनसंख्या में 29.7 प्रतिशत की वृद्धि बतलाई गयी है।

झारखंड राज्य के सचिव दीपक प्रकाश ने कहा कि आदिवासियों का धर्मातरण बृहद रुप से कराया गया है जिससे कारण वे अपनी संस्कृति और पारंपरिक रिवाजों से अलग हो गये हैं।

भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने कहा, “दलित और आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए यह एक सबक है।”

स्थानीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता ने कहा कि धर्म परिवर्तन कानून सरकार की एक चाल है जिसके द्वारा वह आदिवासी समाज में एक तरह का विभाजन लाना चाहती है जिसे वह अपना उल्लू सीधा कर सकें। 








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