2017-07-31 14:58:00

डर के साए में रोहिंग्या मुसलमान


न्यूयार्क, सोमवार 31 जुलाई 2017 (यू एन समाचार) : संयुक्त राष्ट्र की एक मानवाधिकार विशेषज्ञ एवं म्यामांर के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार दूत यंगी ली ने म्यामांर की अपनी यात्रा के बाद अपने बयान में कहा कि म्यामांर में सरकारी सेनाओं द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों को मानव ढाल के तौर पर इस्तेमाल करने की ख़बरें मिलने के बाद उनमें बहुत डर बैठ गया है।

नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची की सरकार बनने के बाद यंगी ली की ये तीसरी यात्रा है। इससे पहले जनवरी 2017 में उन्होंने म्यामांर की यात्रा की थी। उनका कहना था कि इन छह महीनों के दौरान रखाइन प्रान्त में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के हालात में कोई सुधार नहीं आया है।

रोहिंग्या मुसलमान अपने साथ और आसपास होने वाली हिंसा से बहुत डरे हुए हैं। यंगी ली ने रखाइन प्रान्त में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों की हालत पर गहरी चिन्ता जताई है। इसके अलावा काचिन और शान प्रान्तों में भी मुसलमानों के हालात बहुत ख़राब हैं।

रखाइन प्रान्त में क़रीब पाँच साल पहले म्यामाँर के बौद्धों और रोहिंग्या मुसलमानों के बीच साम्प्रदायिक दंगे हुए थे जिनमें रोहिंग्या मुसलमानों को निशाना बनाया गया था। तब बेघर हुए क़रीब एक लाख बीस हज़ार रोहिंग्या मुसलमान आज पाँच साल बाद भी शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं।

यंगी ली का कहना था कि उन्हें म्यामांर के सुरक्षा बलों द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों को हिंसा का निशाना बनाने के बारे में लगातार खबरें मिल रही हैं। रोहिंग्या समुदाय में ही कुछ कट्टरपंथी ऐसे मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं जिन्होंने नागरिता के लिए अर्ज़ी दी हैं।

उन्हें ऐसी भी ख़बरें मिली हैं कि सरकारी बलों ने रोहिंग्या मुसलमानों को मानव ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया है।

साथ ही संदिग्ध विद्रोहियों को सरकारी सेनाओं की वर्दी पहनाई जाती है और उन्हें लड़ने के लिए मजबूर किए जाने के अलावा प्रताड़ित भी किया जाता है।

यंगी ली ने कहा कि म्यामार में जब तक मानवाधिकारों की स्थिति में ठोस सुधार नहीं आता है, तब तक इस देश पर कड़ी निगरानी जारी रहेगी।








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