2017-07-21 17:14:00

ख्रीस्तीय नेताओं ने येरुसलेम हिंसा की निंदा की


वाटिकन रेडियो, शुक्रवार 21 जुलाई 2017 (वीआर) ईसाई समुदाय के सभी नेताओं ने फिलहाल हुए येरुसलेम, पर्वत मंदिर की घटना जो ख्रीस्तीय, मुस्लमानों और यहूदियों के लिए एक पवित्र स्थल है, की निंदा की है।

ज्ञात हो कि पिछले शुक्रवार को तीन इसराईली बन्दूकधारियों ने पर्वत मंदिर के एक प्रवेश द्वार  पर तैनात पुलिस कर्मी पर गोलियाँ चलायीं। इस घटना में दो पुलिस कर्मी मारे गये थे जबकि आक्रमणकारियों को पुलिस बल ने भागने के क्रम में मार गिराया था।  

एक संयुक्त वक्तव्य के अनुसार 13 ख्रीस्तीय समुदायों के अधिकारियों ने इस घटना को घोर निंदा  की है और धार्मिक स्थल में प्रवेश हेतु ऐतिहासिक समझौते में परिवर्तन की मांग की है जिससे पवित्र स्थल में विश्वासी प्रवेश कर सकें।

पवित्र स्थल की “यथास्थिति” 18वीं सदी में तैयारी की गई थी। ख्रीस्तीय नेताओं का कहना है कि इसकी निरंतरता और अखंडता से छेड़छाड़ करना सहजता पूर्वक किसी भी खतरे और गंभीर अप्रत्याशित परिणाम को उत्पन्न कर सकता है। हम सब प्रार्थना करते हैं कि पूरे प्रान्त में न्याय और शांति बनी रही।  

यर्दन और पवित्र भूमि में लुथरन कलीसिया हेतु प्रेरिताई के शीर्ष फिलिस्तीनी धर्माध्यक्ष मुनीब योनान के वाटिकन रेडियो कि फिलीप्पा हिचेन से अपनी वार्ता के दौरान कहा कि ख्रीस्तीय नेताओं की स्थिति सुनिश्चित है, “पवित्र स्थल पूजा, मनन-ध्यान के स्थल हैं न कि युद्ध और तनाव या आपसी नासमझी के।” 

उन्होंने कहा कि हिंसा के उपरान्त लिये गये निर्णयों ने सचमुच में एक तनाव की स्थिति को उत्पन्न कर दिया है। उन्होंने कहा कि पवित्र स्थल में लोगों को स्वतंत्रता पूर्वक प्रवेश करने देना चाहिए न कि एक या दो व्यक्ति के आक्रमण के परिणाम स्वरूप सबों को सज़ा। 

सुरक्षा के संबंध में पूछे गये सवालों के उत्तर में उन्होंने कहा कि रामजान के दिनों में हर शुक्रवार करीब चार से पाँच हजार मुस्लिम पवित्र स्थल में प्रवेश करते थे और सभी चीज़ें सही सलामत रहीं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमें “यथास्थिति” का सम्मान करने की आवश्यकता है जो यर्दन  के नवाब अब्दुला की देखरेख में है।








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