2017-07-17 14:01:00

बीज बोने वाले का दृष्टान्त, हमारी आध्यात्मिकता का एक्स-रे


वाटिकन सिटी, सोमवार 17 जुलाई 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में जमा हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व बीज बोने वाले के दृष्टान्त पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा,

प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात

आज के सुसमाचार में हम बीज बोने वाले, एक विख्यात दृष्टान्त को सुनते हैं। बीज बोने वाले स्वयं येसु ख्रीस्त हैं। अपने इस स्वरूप के द्वारा येसु हमें अपने आप को नहीं थोपते हैं वरन वे हमारे सामने एक विकल्प रखते हैं। वे हमें अपनी जीत के द्वारा अपनी ओर आकर्षित नहीं करते बल्कि वे हमें अपने आप को देते हैं। वे हमें धैर्य और उदारता में अपने शब्दों को देते हैं जो एक पिंजरे या फंदे के समान नहीं है लेकिन यह एक बीज है जो विकसित होता और अपने में फल उत्पन्न करता है। संत पापा ने कहा कि यदि हम इसका स्वागत अपने जीवन में करते हैं तो यह  अपने में फलप्रद होता है।

अतः यह दृष्टान्त हम सभों को अपने में समाहित करता है। यह हमें भूमि के बारे में कहता है न कि बोने वाले के बारे में। संत पापा ने कहा कि हम कह सकते हैं इस दृष्टांत के द्वारा ईश्वर हम सभों की आध्यात्मिकता का एक्स-रे करते और  हमें यह एहसास दिलाते हैं कि हम किस तरह की भूमि हैं जहाँ उनके द्वारा बोये जाने वाले बीज गिरते हैं। हमारा हृदय भूमि के समान है जो ईश्वर के वचन रूपी बीज को अपने में ग्रहण करता और फलप्रद होता है। लेकिन यह कठोर, जल रोधक भी हो सकता है क्योंकि हम उनके वचनों को नहीं सुनते जो हमारे जीवन से छिटक कर दूर, राह में चले जाते हैं।

संत पापा ने कहा कि अच्छी भूमि और पथ के मध्य और दो भूमियाँ हैं जो अपने में भिन्न हैं। उन्होंने कहा कि पहली प्रकार की भूमि को हम एक कमी के रुप में देख सकते हैं जहाँ मिट्टी का अभाव है, उस भूमि पर बीज जन्मती है लेकिन मिट्टी की कमी के कारण उनकी जड़ें मजबूत नहीं होती हैं। यह हमारे छिछले हृदय को दिखलाता है जो ईश्वर का स्वागत अपने जीवन में करता है, जो प्रार्थना, प्रेम और अपने जीवन के द्वारा अच्छे कार्यों में रुचि रखता है लेकिन उसमें दृढ़ता की कमी होती है जिसके कारण वह अपनी अच्छाई में बना नहीं रह पाता है। यह दो आयामी हृदय है जहाँ हम ढिलाई को पाते हैं। यह अपने प्रेम में अस्थिर होता और अपना मार्ग बदलते रहता है। संत पापा ने कहा कि जो केवल ईश्वर के आने पर उनका स्वागत करता है वह अपने में फलदायक नहीं होता है।

इसके बाद हम उस भूमि को देखते जो अपने में पथरीली और कंटीली है जो अच्छे पौधे को दबा देती है। संत पापा ने कहा कि यह हमें किस के रुप को दिखलाती है, येसु कहते हैं कि “यह दुनियादारी और धन के प्रति हमारी आसक्ति को बायँ करती है। पत्थर वे बुराइयों हैं जो ईश्वर के वचन रूपी मार्ग में रोड़ा उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि जब हम दुनियावी धन-दौलत, दिखावे की जिन्दगी से घिरे होते तो हम ईश्वर के प्रेम और उनके ज्ञान में विकासित नहीं हो पाते हैं। हम में से प्रत्येक अपने जीवन में, अपने हृदय में व्याप्त बुराई को जानता है। वे हमारे जीवन में उस झाड़-झांकड़ के समान हैं जो ईश्वर को पसंद नहीं करते और उन्हें हमारे हृदय की सफाई करने देने से रोकते हैं। संत पापा ने कहा कि हमें उन्हें अपने जीवन से उखाड़ फेंकने की जरूर है नहीं तो वे हमारे जीवन में वचन रूपी बीज को कभी फलप्रद नहीं होने देंगे।

संत पापा ने विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के समुदाय का आहृवान करते हुए कहा कि येसु हमें अपनी अंतरात्मा के निरीक्षण का आहृवान करते हैं। वे हमें अपने जीवन की अच्छी भूमि हेतु ईश्वर का धन्यवाद अदा करने को कहते और जो भूमि अच्छी नहीं है उस पर कार्य करने को कहते हैं। उन्होंने कहा कि हम स्वयं से ईमानदारी पूर्वक पूछें कि क्या हम ईश्वर के वचनों को अपने जीवन में खुले हृदय से ग्रहण करते हैं। हम अपने आप से पूछे कि क्या ढिलाई की चट्टान हम में बृहद तो नहीं हो गई है। हमें अपने जीवन की बुराइयों को जानने और उन्हें नाम लेकर चिन्हित करने की आवश्यकता है। हमें साहस के साथ अपनी अच्छी भूमि को ईश्वर के पास लाने की जरूरत है और पापस्वीकार संस्कार में अपने बुराइयों और कमजोरियों हेतु क्षमा याचना करना है, क्योंकि हमारा यह कार्य ईश्वर को प्रिय लगता है और वे हमारे जीवन के कंकड़-पत्थर, कंटीली झाड़ियों को साफ कर हमें शुद्ध और पवित्र करते हैं।

माता मरियम माऊंट कार्मेल की कुंवारी जो येसु के वचनों को अपने जीवन में स्वागत करने और उनके अनुपालन में सदैव तत्पर रहीं हमें अपने हृदय को शुद्ध तथा ईश्वर की उपस्थिति में बने रहने हेतु मदद करें। इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा फ्राँसिस ने सभी विभिन्न पल्लियों और समुदायों से आये तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया। उन्होंने विशेष रूप से हिजास दे ला वर्जेन डे लॉस डोलोरेस की धर्मबहनों को उनके धर्मसमाज की 50वीं परमधर्मपीठीय अनुमोदन, संत जोसेफ की फ्रांसिस्कन धर्मबहनों को उनकी 150वीं वर्षगाँठ और दोमुस क्रोवाता के अगुवों और अतिथियों को उनके स्थापना दिवस की 30वीं वर्षगाँठ हेतु अपनी शुभकामनाएँ अर्पित की। संत पापा ने इटली में वेनेजुऐला के ख्रीस्तीय समुदाय का अभिवादन किया और अंत में अपने लिए प्रार्थना का नम्र निवेदन करते हुए सभों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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