2017-07-11 16:20:00

भारतीय धर्माध्यक्षों द्वारा "शांति, सामंजस्य और भाईचारे" की अपील


नई दिल्ली, मंगलवार 11 जुलाई 2017 (वीआर अंग्रेजी) : भारत की काथलिक कलीसिया ने देश में हो रहे सांप्रदायिक हिंसा, आतंकवादी हमलों, दंड और हत्या आदि बढ़ती घटनाओं की निंदा की है और लोगों से अपील की है कि वे धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र से ऊपर उठकर शांति, सामंजस्य और भाईचारे को बढ़ावा देने में एकजुट हो जाएं। भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों ने काश्मीर में सोमवार को अमरनाथ मंदिर से लौट रहे थके मांदे हिंदू तीर्थयात्रियों पर उग्रवादियों के आक्रमण को "नीचतापूर्ण और कायरता" का कृत्य कहा है। जिसमें 7 महिलाओं की मौत हो गई और 12 घायल हो गये थे। तीर्थयात्रियों की बस अनंतनाग के शहर के निकट उग्रवादियों और पुलिस के बीच सश्स्त्र लड़ाई में फँस गई।

"यह आखिरी हमला हिंसा की आग का एक और लक्षण है, जो दुर्भाग्य से देश को घेरने लगा है।" मंगलवार को एक बयान में भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेन्हास ने लिखा। देश की काथलिक कलीसिया के अधिकारियों ने "हाल के दिनों में देश में चरमपंथी हिंसा पर गहन दर्द और दुख" व्यक्त किया।

मुस्लिम बहुसंख्यक कश्मीर में आतंकवादी भारतीय शासन से जूझ रहे हैं। उनके 28 साल के सशस्त्र विद्रोह के सबसे हिंसक चरणों के दौरान भी उन्होंने काफी हद तक तीर्थयात्रियों को बचाया है। भारत इस क्षेत्र में सामान्य स्थिति को बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिसे भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस पर अपना दावा करते हैं।

अपने बयान में धर्माध्यक्ष मस्करेन्हास ने भी भारत में गाय की रक्षा के लिए, जिसे हिंदुओं ने पवित्र माना है एक जानवर के लिए लोगों की भीड़ पर हमला करने की निंदा की। उन्होंने कहा कि हम दहशत और उदास हैं कि अपने को गौरक्षक कहने वाले मनुष्यों पर हमला और हत्या तक कर देते हैं।"हिंसा चाहे किसी के नाम पर हो, यह जानवरों या भगवान या धर्म के नाम पर, इस तरह की हिंसा भयावह और अस्वीकार्य है।" "हम दलितों, आदिवासियों और अन्य कमजोर वर्गों के खिलाफ अत्याचारों की भी निंदा करते हैं। हम निर्दोष लोगों की मृत्यु पर शोक करते हैं और उनके परिवारों के लिए ईश्वर की सांत्वना हेतु की प्रार्थना करते हैं। "

अपने बयान में धर्माध्यक्ष मस्करेन्हास ने भी "सांप्रदायिक हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल और देश के अन्य क्षेत्रों में फंसे होने पर चिंता व्यक्त की।" भारतीय धर्माध्यक्षों की ओर से उन्होंने सबों से "समाज में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करने हेतु अपील की।"

उन्होंने कहा,"यदि कोई जाति, पंथ और धर्म के आधार पर खुद को विभाजित करता है तो कोई राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता" हिंसा मृत्यु को लाती है और जीवन तथा परिवारों को नष्ट करती है। हम अपने बच्चों, युवाओं और हमारे देश के भविष्य को संकीर्ण राजनीतिक लाभों के लिए जोखिम में डाल नहीं सकते हैं।

"हमारे प्यारे देश को अपनी पारंपरिक शांति और सद्भाव के लिए जाना जाता है और यद्यपि हमने यहाँ कई बार अकल्पनीय हिंसा, मृत्यु और रक्तपात देखा है, पर हमारे समाज में फिर से शांति और भाईचारे की भावना वापस आ जाती है।"

उन्होंने लिखा कि हाल के दिनों में हत्या, आतंकवादी हमले बड़े ही भयावह और दुःखदायी हैं। "हम अपने सभी भारतीय भाई और बहनों को धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र से ऊपर उठने और शांति, सामंजस्य और भाईचारे को बढ़ावा देने में एकजुट करने की अपील करते हैं।"








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