2017-07-10 16:01:00

येसु में हम सच्चा आराम पाते हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार 10 जुलाई 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में जमा हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाई और बहनों, सुप्रभात

आज के सुसमाचार में येसु हमें अपने पास यह कहते हुए बुलाते हैं, “थके माँदे और बोझ से दबे हुए लोगों तुम सब के सब मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।” (मत्ती. 11.28) येसु के ये वचन उनके कुछेक शिष्यों के लिए नहीं है वरन यह हम सभों के लिए कहा गया है, हम जो अपने जीवन में थका-मंदा और अपने को बोझ से दबा हुआ पाते हैं। कौन उनके इस निमंत्रण से अपने को अछूता महसूस कर सकता हैॽ येसु जानते हैं कि जीवन हमारे लिए कितना कठिन है।

अपने जीवन की मुसीबतों से बाहर निकलना ही हमारे लिए पर्याप्त नहीं है वरन हमें यह जाने की आवश्यकता है कि हमें कहाँ जाना है। यह हमारे लिए एक निमंत्रण है जहाँ हम अपने जीवन को येसु के लिए खोलते हैं।

अपने जीवन के तकलीफ भरे क्षणों या मुश्किल की घड़ी जो हमें विचलित करती है, संत पापा ने कहा कि हमें उसे अपने किसी मित्र, किसी विशेषज्ञ के साथ साक्षा करने की जरूरत है जो हमारे लिए एक बड़े सहायक बनते हैं, लेकिन इसके साथ ही हमें यह नहीं भूल है कि येसु ख्रीस्त हमारे जीवन में हमारे साथ हैं।

संत पापा ने कहा, “हम अपने जीवन में यह न भूलें की हमें अपने जीवन को उनके सामने लाने और अपने को खोलने की जरूरत है। हमें अपने जीवन के सभी परिस्थितियों और लोगों को उन्हें सुपुर्द करने की जरूरत है। शायद हमने अपने जीवन की कुछ घटनाओं को उन्हें कभी नहीं बतलाया  है क्योंकि हमने अपने जीवन की उन परिस्थितियों को ईश्वर की ज्योति से कभी प्रकाशित होने नहीं दिया। हम सभों की अपनी एक कहनी है। हमें अपने जीवन के अंधकार भरे क्षणों में ईश्वर की ओर आने की जरूरत है। हमें करुणा के कार्यकर्ता एक पुरोहित के पास जाने की आवश्यकता है, येसु के पास आने की जरूरत है जिससे हम उन्हें अपने जीवन के बारे में बता सकें। संत पापा ने कहा, “वे आज हम प्रत्येक जन से कहते हैं धैर्य रखो। जीवन की मुसीबतों और तकलीफों से हताश और निराश न हो, लेकिन तुम मेरे पास आओ।”  

हमारे जीवन में जब चीज़ें ठीक नहीं चलती तो हम अपने जीवन में विचलित हो जाते हैं, लेकिन हमें उन परिस्थितियों से भागने की अपेक्षा उनमें बने रहने की जरूरत है। यह कहने और देखने में सहज लगता है लेकिन ऐसी स्थिति में अपने को खोलना और अपने जीवन को देखना हमारे लिए कठिन होता है। यह सहज नहीं है। हम अपने जीवन की कठिन परिस्थितियों में स्वाभाविक रुप से अपने को बंद कर लेते हैं। इस तरह हम अपने जीवन को एक अन्याय के रुप में देखते हैं, हम अपने में यह सोचने लगते हैं कि दूसरे कितने कृतघ्न हैं, दुनिया कितनी खराब है इत्यादि। हम इस तथ्य से वाकिफ हैं और हम सभों ने अपने जीवन में ऐसे बुरे दौर से होकर गुजरा है। लेकिन जब हम अपने में बंद हो जाते तो हमारे लिए सारी चीज़ें काली दिखाई देने लगती हैं। अपनी इसी बदहाली के कारण हम परिवार में होनी वाली दुखदायी घटनाओं से अभ्यस्त हो जाते हैं। हम बुराई का शिकार हो जाते और ये बुरी चीज़ें हमारे लिए बुराई लेकर आती हैं। येसु हम से चाहते हैं कि हम अपने जीवन की ऐसी परिस्थिति से बाहर निकले और इसीलिए वे हमें कहते हैं, “आओ... कौन...ॽ तुम... तुम...तुम...।”  हमें अपने हाथों को ईश्वर की ओर फैलाने की आवश्यकता है जिसके द्वारा हम उनके साथ एक संबंध स्थापित करते हैं जो हमें प्रेम करते हैं।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमारी “प्रतीक्षा” करते हैं। वे हमारे जीवन की कठिनाइयों को जादुई रुप से हल नहीं करते,  वरन हमें उन परिस्थितियों में मजबूत बन रहने की कृपा प्रदान करते हैं। वे हमारे जीवन से बोझ को नहीं हटाते लेकिन वे हमारे हृदय को मजबूत करते हैं। वे हमारे जीवन के क्रूस को हम से दूर नहीं करते लेकिन वे हमारे साथ रहते हैं। उनके साथ हम अपने जीवन के हर भार को हलका महसूस करते हैं क्योंकि वे हमारी शरण हैं जहाँ हम अपने जीवन के लिए ताजगी प्राप्त करते हैं।

येसु हमारे जीवन में जब प्रवेश करते तो हम उनकी शांति का एहसास अपने में करते हैं। संत पापा ने कहा कि आइए हम येसु के पास चले, उन्हें अपना समय दें, अपने प्रतिदिन की प्रार्थना में उनसे मिलें, हम विश्वास के साथ उनसे व्यक्तिगत रुप में वार्ता करें। हम अपने को उनके वचनों से वाकिफ होने दें, जो हमारे लिए प्रेम लेकर आता है। हम उन्हें अपने जीवन की रोटी के रुप में स्वीकार करें। ऐसा करने के द्वारा ही हम अपने जीवन में उनके प्रेम और उनकी सांत्वना का अनुभव कर करेंगे।

हम येसु के पास आना सीखें और जिस तरह गर्मी के मौसम में हम अपने शरीर हेतु आराम की चाह रखते हैं, हम यह भूलें की येसु में ही हम अपने जीवन की सच्ची ताजगी को प्राप्त करते हैं। माता मरियम जो हर दुःख और थकान की घड़ी में हमारे साथ रहती है हम में येसु के निकट आने में सहायता करे। इतना कहने के पास संत पापा ने विश्वासी भक्तों और तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। 

देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा ने चिलचिलाती गर्मी में भी संत प्रेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए विभिन्न देशों के विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया विशेष कर पोलैण्ड रेडियो मरिया परिवार के तीर्थयात्रियों का और निष्कलंक धन्य कुंवारी मरियम धर्मसमाज के सामान्य संगोष्ठी हेतु जमा हुई धर्मबहनों तथा पुरोहितों के प्रशिक्षण सम्मेलन में विभिन्न देशों से रोम आये पुरोहितों को अपनी शुभकामनाएँ अर्पित की। संत पापा ने ताईवान बच्चों के संगीत समुदाय “पूसांगालन” जिसका अर्थ “आशा” है उसके सुन्दर गान के लिए भी शुक्रिया अदा करते हुए सभों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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