2017-06-28 16:43:00

अपराधों के लिए दण्ड से मुक्ति नहीं, अन्यथा देश नफरत और हिंसा में वापस डूब जाएगा


बांगुई, बुधवार,28 जून 2017 (फीदेस) : मध्य अफ़्रीकी गणराज्य में 2014 से लेकर आज तक हिंसा के 5,000 से अधिक दस्तावेज "न्याय और शांति" हेतु बने धर्माध्यक्षीय आयोग द्वारा मध्य अफ्रीका के लिए विशेष आपराधिक न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।

"न्याय और शांति" आयोग के महासचिव फादर फ्रेडरिक नाकोम्बो ने कहा, "हमने इस अदालत में पेश करने हेतु 5,285 दस्तावेज तैयार किए हैं।" काथलिक कलीसिया के "न्याय और शांति" आयोग ने पीड़ितों की रक्षा के लिए एक नेटवर्क बनाया है, इसमें पीड़ितों ने स्वयं पंजीकृत किया है।"न्याय और शांति" आयोग  विभिन्न सिविल सोसाइटी संगठनों में से एक है जिन्होंने घोषणा की है कि वे 2003 से 2015 तक देश में किए गए अपराधों की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में बनाए गए एक विशेष आपराधिक न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने के लिए अपराधों के दस्तावेज दायर करेंगे। सिविल सोसायटी संगठन 2017 तक कोर्ट के जनादेश का विस्तार करना चाहते हैं, क्योंकि मध्य अफ्रीकी गणराज्य के कई क्षेत्रों में लोग अब भी असुरक्षा में रहते हैं।

यह निश्चित करना बहुत जरुरी है कि विभिन्न सशस्त्र समूहों द्वारा किए गए गंभीर अपराध जो लोग देश को परेशान कर देते हैं, उन्हें दंड मिलनी चाहिए। यह शांति और सामाजिक एकता के लिए धार्मिक बयान के मंच की मांगों में से एक है। इमाम ओमर कोबीन लामा के अनुसार अपराध करने वाले अपराधियों को सभी लोग जानते हैं। इसलिए उन्हें यह कह कर सजा देने से छोड़ा नहीं जा सकता है कि "नफरत और बदला लेने के चक्र में मध्य अफ्रीका को दुबारा डूबने से बचाएं।"

बांगुई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल देवदियोने नजपालांग ने को रोम में 19 जून को क्रोइक्स में प्रकाशित हस्ताक्षरित समझौते की आलोचना की, जिसमें कहा गया है कि "प्रकाशित पाठ, अपराधियों के दंड को माफ करती है"। कार्डिनल ने यह भी इनकार कर दिया कि उन्होंने इस समझौते पर कोई हस्ताक्षर नहीं किये हैं। संत एजिदिओ समुदाय की मध्यस्थता से "गोडेफ्रो मोकामेनडे" नामक व्यक्ति ने अपने आप को "कार्डिनल नजपालंगा के प्रतिनिधि" के रूप में प्रस्तुत किया और उस पर हस्ताक्षर किया था। 22 जून को प्रकाशित एक बयान में कार्डिनल देवदियोने कहा कि "उन्होंने व्यक्तिगत रुप से या सीईसीए के अध्यक्ष के रूप में किसी को भी उसका प्रतिनिधि बनकर प्रतिबद्धताएं बनाने का कोई अधिकृत पत्र नहीं दिया था।








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