2017-06-24 16:34:00

मानव की तस्करी का मूल कारण है व्यक्ति को वस्तु के रूप में देखना


न्यूयॉर्क, शनिवार, 24 जून 2017 (रेई): अमरीका में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक एवं प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष बेर्नादितो औजा ने 23 जून को मानव तस्करी निराकरण पर आधारित सत्र को सम्बोधित किया जो मानव अधिकार पर ध्यान देने एवं आधुनिक विश्व के सबसे अंधकारमय पक्ष पर गौर करने का अवसर था।

उन्होंने अपने सम्बोधन में मानव तस्करी के विभिन्न रूपों पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि मानव अधिकार का हनन, यौन शोषण, गुलामी, बेगार, अंगों की चोरी एवं अन्य तरह की गुलामी द्वारा किया जाता है। इसके लिए गरीबी, बेरोजगारी, विस्थापन, शरणार्थी संकट तथा अन्य आर्थिक, पर्यावरण और राजनीतिक घटक जिम्मेदार हैं जो मानव गरिमा के खिलाफ इन नृशंस अपराधों को बढ़ावा देते हैं, लेकिन इन कारकों में सिर्फ संदर्भ का वर्णन किया गया है जिसमें दूसरे व्यक्तियों का शोषण किया जा सकता है। मानव की तस्करी का मूल कारण है उन्हें वस्तुओं के रूप में देखना तथा उनको शारीरिक एवं मानसिक बंधन में रखना।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरितिक विश्व पत्र ‘लाओदातो सी’ में मानव-विज्ञान और नैतिक मूल के बारे में स्पष्ट कहा है कि "एक व्यक्ति के साथ दूसरे के लाभ के लिए, वस्तुओं के रूप में व्यवहार करना, उसे बेगारी कराना या गुलाम बनाना अथवा उसका यौन शोषण, संस्कृति को चुनौती दे रहा है।  उन्होंने कहा कि यह संस्कृति भ्रष्ट मानव पारिस्थितिकी से प्रभावित है जिसमें मानव को शोषण कर्ताओं के लाभ के लिए साधन के रूप में देखा जाता है, जैसा कि चीजों को प्रयोग किया जाता और फेंक दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि हम मानवीय तस्करी में यौन, आर्थिक और अन्य तरह के शोषण से मानव अधिकारों की रक्षा करने के बारे में गंभीर हैं, तो हमें ईमानदारी और दृढ़तापूर्वक इसकी मांग करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि मानव तस्करी के शिकार लोगों के मानव अधिकार की रक्षा करना महत्वपूर्ण है किन्तु काफी नहीं है। मानव प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त करने एवं मानसिक पीड़ा से उबरने हेतु हमें उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए। हमें हर तरह की गुलामी से उन्हें बाहर निकालने का प्रयास करना चाहिए। जिसका अर्थ है कि उन्हें सुरक्षित आवास एवं व्यवस्थित स्थिति प्रदान करना जो प्रतिबद्धता की मांग करता है।

महाधर्माध्यक्ष औजा ने इस क्षेत्र में काथलिक कलीसिया के कार्यों का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि संत मर्था दल एवं कई महिला धर्म संघियों के प्रयास द्वारा मानव तस्करी के खिलाफ कार्य किया जा रहा है तथा पीड़ितों को अपनी मानव प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त करने में मदद दी जा रही है।

उन्होंने अपील की कि मानव तस्करी से मुक्त किये गये लोगों को सामने एवं केंद्र में रखते हुए हम मानव अधिकार के हनन को उत्प्रेरित करने वाले कारणों को दूर करने हेतु अधिक संसाधनों तथा उन्हें पूर्ण पुनर्वास उपलब्ध कराने एवं समाज में पुनः एक साथ लाने हेतु प्रतिबद्ध होना चाहिए। 








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