2017-06-15 15:40:00

बाल श्रम के खिलाफ संघर्ष हेतु दिल्ली पुलिस सी.आर.वाई के साथ


नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 15 जून 2017 (मैटर्स इंडिया): वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बतलाया कि सोमवार को जब बाल मजदूरी के खिलाफ विश्व दिवस मनाया गया, दिल्ली पुलिस ने ग़ैरसरकारी स्वयंसेवकों के साथ खोये हुए बच्चों को खोजने एवं बाल मजदूरी के खिलाफ संघर्ष करने का निश्चय किया।

पुलिस के विशेष आयुक्त देवेन्द्र पाठक ने पत्रकारों से बातें करते हुए कहा, ″दिल्ली पुलिस ने बाल अधिकार एवं आप (सी आर वाई) से संबंधित जानकारी साझा करने का निश्चय किया है ताकि खोये हुए बच्चों को प्राप्त किया जा सके तथा बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता लाने के कार्यक्रमों का संचालन किया जा सके।

उन्होंने कहा कि यह प्रतीकात्मक संबंध होगा। सीआरवाई का एक अखिल भारतीय नेटवर्क है। इसके द्वारा हम खोये हुए बच्चों को यथास्थान कर सकते हैं। बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता के द्वारा हम उन्हें मदद देंगे और इससे संबंधित जानकारियाँ हम उन्हें उपलब्ध करायेंगे।

सी.आर.वाई के निदेशक वात्साला मामगेईन ने कहा, ″स्थानीय पुलिस स्टेशनों के युवा कल्याण अधिकारी बाल श्रम पर जागरूकता कार्यक्रमों के लिए जमीनी स्तर पर हमारे साथ आ रहे हैं।″

सी.आर.वाई. के सदस्यों ने कहा कि बाल श्रम की जाँच करने के लिए जागरूकता अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

सी.आर.वाई के प्रवक्ता जाया सिन्ह ने कहा, ″ट्रैफ़िक संकेतों के पास अथवा सड़कों पर हम बच्चों को पैसे देते हैं या उनसे चीजें खरीदते हैं, लेकिन ऐसा करके उनकी मदद करने के बजाय, हम उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं।″ लोगों को ऐसा करने से रोका जाना चाहिए। इन बच्चों के पीछे एक गठजोड़ है जो बच्चों का उपयोग करता है क्योंकि वह जानता है कि वे उनके लिए फायदेमंद हैं। यदि लोग बच्चों से समान खरीदना छोड़ देंगे तब गठजोड़ खुद ब खुद टूट जाएगा।

बाल श्रम के विरूद्ध जागरूकता लाने हेतु पुलिस अधिकारी एवं आम नागरिकों ने इंडिया गेट के पास, शाम 6 बजे करीब 1000 की संख्या में जमा होकर इस पहल को चिन्हित करने के लिए एक मानव श्रृंखला का निर्माण किया। 

विदित हो कि भारत में 33 मिलियन से अधिक बाल श्रमिक हैं जो 18 साल से कम उम्र के हैं जिनमें 10.13 मिलियन 14 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। सी.आर.वाई के अनुसार 2001 से 2011 के बीच भारत में काम करने वाले 5 से 9 साल के बच्चों की औसत वृद्धि 37 है। 








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