2017-06-13 16:18:00

गुजरात पाठ्यपुस्तक में हैवान शब्द से आहत ख्रीस्तीयों ने सुधार की माँग पर ज्ञापन सौंपा


सूरत, मंगलवार, 13 जून 2017 (ऊकान): गुजरात राज्य स्कूल पाठ्यपुस्तक में ईसा मसीह के आगे ‘हैवान’ शब्द के प्रयोग से विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों ने कड़ी आपत्ति जतायी है।

गुजरात की हिंदी पाठ्यपुस्तक के एक अध्याय में ईसा मसीह के आगे 'भगवान' के बजाय 'हैवान' शब्द है। किताब का प्रकाशन गुजरात राज्य स्कूल पाठ्यपुस्तक बोर्ड ने किया है और इसके लेखक आनन्द शंकर माधवन हैं।

सीरियाई, पेंतेकोस्त, ब्रेदेरेन मिशन, प्रोटेंस्टंट, काथलिक एवं अन्य ख्रीस्तीय समुदायों ने सोमवार को उक्त किताब में सुधार की मांग करते हुए एक रैली निकाली तथा जिला कलेक्टर महेंद्र पटेल को एक ज्ञापन सौंपा।

सरकारी स्कूल में कक्षा नौवीं की हिंदी की किताब ″भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य संबंध″ के 16वें अध्याय पर कहा गया है कि ″इस संबंध में हैवान ईसा का एक कथन सदा स्मरणीय है।″ ईसा को यह कहते हुए प्रस्तुत किया गया है, ″मेरा अनुसरण करनेवाले लोग मुझसे कहीं अधिक महान हैं और उनकी जूतियाँ होने की योग्यता भी मुझमें नहीं है।″

बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन पेठानी ने कहा है कि यह मुद्रण संबंधी भूल है और इसकी अंदरूनी जाँच की जाएगी।

दरअसल लेखक आनन्द शंकर माधवन द्वारा लिखी इस किताब में न केवल भगवान लिखने में गलती हुई है किन्तु ईसा के कथन का उद्धरण भी सही नहीं है। ईसा के कथन के रूप में जिस वाक्य का हवाला दिया गया है वह बाईबिल में कहीं है ही नहीं।   

प्रवक्ता एवं पुरोहितों के अध्यक्ष माननीय डेनिस अमीन ने कहा, ″ख्रीस्तीय शांति प्रिय समुदाय है। ऐसा लगता है कि ईसा मसीह के लिए 'हैवान' शब्द का प्रयोग जानबूझकर कर उनके समुदाय को फँसाने का एक साजिश है। हम येसु मसीह के अनुयायी हैं और इस तरह की गलती से हमें बहुत आघात पहुँचा है।″

अमीन ने कहा कि धार्मिक नेताओं ने जी एस एस टी बी के अध्यक्ष तथा अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग से पिछले माह ही ‘हैवान’ शब्द को पाठ्य पुस्तक से हटाने की मांग की थी किन्तु नवीं कक्षा के बच्चे अभी भी उसे पढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री विजय रुपानी से आग्रह करते हैं कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई करे। 








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