2017-05-26 12:13:00

उदारता की नन्हीं धर्मबहनें सीमारहित मिशनरी, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 26 मई सन् 2017 (सेदोक): वाटिकन में, शुक्रवार, 26 मई को सन्त पापा फ्राँसिस ने डॉन ओरियोने द्वारा स्थापित "उदारता की नन्हीं धर्मबहनें" नामक धर्मसंघ की प्रतिनिधि  धर्मबहनों को सम्बोधित किया जो विश्व के विभिन्न राष्ट्रों से, इस समय, रोम में अपनी 12 वीं आम सभा के लिये एकत्र हैं।   

सन्त पापा ने धर्मबहनों से कहा कि वे सीमारहित मिशनरी हैं जो विश्व के विभिन्न देशों में निर्धनों, महिलाओं और विशेष रूप से बच्चों तथा बीमारों, वृद्धों एवं अनाथों की सेवा में संलग्न हैं।

सन्त पापा ने धर्मबहनों से कहा, "सम्पूर्ण कलीसिया की ओर से तथा अनेकानेक निर्धनों, महिलाओं, बच्चों, युवाओं, वृद्धों तथा शारीरिक एवं मानसिक रोगों से ग्रस्त बीमारों की ओर से मैं आपकी अनुपम सेवा के लिये आपके प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। आप अपने आपको मिशनरी कहकर पुकारते हैं जिसका अर्थ है सुसमाचार के सन्देशवाहक बनना और साथ ही निर्धनों की सेवा करना।" 

धर्मबहनों से उन्होंने कहा, "आप सीमा रहित मिशनरी हैं जो सीमाओं की परवाह न कर सम्पूर्ण विश्व में कल्याणकारी कार्यों में संलग्न हैं। येसु के प्रेम एवं उनके आनन्द को आप सब तक ले जायें, विशेष रूप से, उन लोगों तक जो अपने आप को परित्यक्त एवं तिरस्कृत समझते हैं।"

सन्त पापा ने इस तथ्य पर बल दिया कि कलीसिया के कल्याणकारी कार्यों का उदगम प्रभु येसु ख्रीस्त हैं तथा "येसु के साथ साक्षात्कार ही हमें उदार कार्यों के लिये प्रेरित करता है। अस्तु, कलीसिया के मिशनरी से यह मांग की जाती है कि वह एक साहसिक एवं रचनात्मनक व्यक्ति बने। ऐसा व्यक्ति जो अपने लक्ष्यों, अपनी कार्य शैली तथा अपने मिशन पर चिन्तन करें तथा उसी के अनुकूल अपने कार्य सम्पादित करे।"

धर्मबहनों से उन्होंने कहा, "भले गड़ेरिये येसु पर अपनी दृष्टि लगायें रखें क्योंकि यह आपको साहस प्रदान करेगी और प्रेम के प्रसार हेतु नये मार्गों की खोज में आपकी मदद करेगी।"








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