2017-05-25 15:20:00

धर्म जाति के आधार पर समाज को नहीं बांटता, दलाई लामा


बेंगलूरू, बृहस्पतिवार, 25 मई 2017 (ऊकान): सच्चा धर्म जाति के आधार पर समाज को नहीं बांटता बल्कि सामाजिक न्याय के बहिष्कार का कारण सामंती प्रणाली है। उक्त बात तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने मंगलवार को बेंगलूरू में कही।

भारतीय संविधान के निर्माता बीआर अम्बेडकर पर एक सेमिनार में उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, ″धर्म लोगों को समाज में उच्च और नीच जाति के आधार पर नहीं बांटता। धर्म विभाजन से किसी भी तरह जुड़ा हुआ नहीं है। जाति के आधार पर सामाजिक न्याय से वंचित करना सामंती प्रणाली से आता है।″ 

उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय से वंचित किये जाने का अर्थ है कि सामंती प्रणाली समाज में अब भी मौजूद है। जाति के आधार पर अन्याय को शिक्षा के द्वारा दूर किया जा सकता है। "समाज के वर्गों के बीच "हीन भावना केवल शिक्षा के माध्यम से समाप्त हो सकती है। समानता की भावना आत्मविश्वास को बढावा देती है। आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से समानता हासिल की जा सकती है।″

दलाई लामा ने प्राचीन भारतीय मूल्यों और ज्ञान को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के लिए निमंत्रण दिया क्योंकि वे आधुनिक समय के लिए अधिक प्रासंगिक थे। आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ प्राचीन मूल्य एवं ज्ञान समाज के लिए हितकर है। 

उन्होंने गौर किया कि बौद्ध धर्म की तरह अन्य धर्मों के भी अलग-अलग दर्शन हैं। उन्होंने कहा कि महान लोगों ने प्रेम और करुणा का एक आम संदेश प्रस्तुत किया है, हालांकि वे विभिन्न धर्मों से आते हैं।

उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य जो आनन्द लाता है वह सकारात्मक कार्य है और जो परेशानी लाता है वह नकारात्मक।

सेमिनार में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिधारमाइयाँ तथा विपक्ष नेता मल्लीकारजूना खारगे भी उपस्थित थे।

अंबेडकर की 125 वीं जयंती मनाने के लिए कर्नाटक सामाजिक न्याय विभाग ने "अम्बेडकर ज्ञान दर्शन अभियाना पर जाति प्रथा और काउंटर क्रांति के उन्मूलन" पर संगोष्ठी का आयोजन किया था।








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