2017-05-23 11:43:00

सुरक्षित, व्यवस्थित एवं नियमित आप्रवास पर महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा


न्यू यॉर्क, मंगलवार, 23 मई 2017 (सेदोक): न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में, सोमवार 22 मई को, परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक, वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष बेरनारदीतो आऊज़ा ने सुरक्षित, व्यवस्थित एवं नियमित आप्रवास सम्बन्धी विश्वव्यापी संविदा पर विचार विमर्श हेतु आयोजित पैनल के प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने स्मरण दिलाया कि न्यू यॉर्क घोषणा के अनुच्छेद 43 में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने लोगों एवं समुदायों को उनकी अपनी मातृभूमि में शांति एवं समृद्धि के साथ जीने योग्य स्थितियाँ उत्पन्न करने हेतु सहयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसी सन्दर्भ में, परमधर्मपीठ, इस तथ्य पर बल देती है कि प्रत्येक को अपने-अपने देश में शांति एवं आर्थिक सुरक्षा में जीवन यापन का अधिकार है। उन्होंने कहा, "यदि स्वदेशों में ही सभ्य जीवन की शर्तें पूरी हों और प्रवास के कारणों को पर्याप्त रूप से संबोधित किया जाये, तो लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं होंगे।"

उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठीय प्रतिनिधिमंडल यह आग्रह करता है कि "ग्लोबल कॉम्पैक्ट", यानि विश्वव्यापी संविदा में आप्रवास के अधिकार से भी पहले लोगों को उनके अपने देशों में रहने का अधिकार प्रदान किया जाये।" तथापि, उन्होंने कहा, "इसका यह अर्थ नहीं कि एक अधिकार दूसरे अधिकार से कम महत्वपूर्ण है अपितु यह कि प्राथमिक अधिकार को सुनिश्चित्त कर आप्रवास के प्रवाह को स्वैच्छिक, नियमित और सुरक्षित बनाया जा सकेगा।"  

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा स्मरण दिलाया कि आज विश्व के पचास प्रतिशत शरणार्थी, आप्रवासी एवं आन्तरिक रूप से विस्थापित लोग संघर्षों एवं हिंसा के कारण अपने घरों से पलायन के लिये बाध्य हुए हैं। इनमें से अधिकांश लोग, उन्होंने कहा, "मानव तस्करी, मादक पदार्थों एवं हथियारों के अवैध व्यापार में संलग्न अपराधी गिरोहों के चँगुल में फँस जाते हैं अथवा शोषण एवं क्षुधा के शिकार बनाये जाते हैं। अपने नियत मुकाम पर पहुँचने के बाद सुरक्षित स्थल पाने के बजाय इन लोगों को अविश्वास, भेदभाव, सन्देह, राष्ट्रीयवादिता की अति और नस्लवाद के अतिरिक्त उनके लिये निर्धारित अस्पष्ट नीतियों का सामना करना पड़ता है।"

इस स्थिति को पर्याप्त रूप से सम्बोधित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि बलात आप्रवास को समाप्त करने का सर्वाधिक प्रभावशाली तरीका है युद्धों एवं हिंसक संघर्षों को समाप्त करना जिसके लिये सम्पूर्ण विश्व समुदाय की प्रतिबद्धता अनिवार्य है।








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