2017-05-19 11:52:00

कार्डिनल ने असमानता एवं आय विषमता से निपटने हेतु उद्यमियों का किया आह्वान


रोम, शुक्रवार, 19 मई 2017(सेदोक): रोम में गुरुवार, 18 मई को "अर्थव्यवस्था एवं समाज" के लिये निर्धारित, अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार समारोह के तीसरे संस्करण के अवसर पर, पुरस्कार विजेताओं तथा विभिन्न क्षेत्रों के उद्योगपतियों एवं उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने असमानता एवं आय विषमता से निपटने हेतु उद्यमियों का आह्वान किया।

सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा प्रकाशित विश्व पत्र "चेनतेसिमुस आन्नुस" के नाम पर स्थापित न्यास द्वारा "अर्थव्यवस्था एवं समाज" में रचनात्मक योगदान देनेवालों को प्रतिवर्ष पुरस्कृत किया जाता है।

इस वर्ष का पुरस्कार समारोह न्यास द्वारा विविध विषयों जैसे संघर्षों के युग में विकल्प, नौकरियों की रचना, डिजिटल युग में मानव की अखण्डता तथा एकात्मता एवं नागरिक मूल्यों को प्रोत्साहन पर आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान सम्पन्न हुआ।

काथलिक कलीसिया की सामाजिक धर्मशिक्षा को बरकरार रखते हुए अपने शोध प्रबन्धों द्वारा  विश्व की अर्थव्यवस्था में रचनात्मक योगदान देने के लिये इस वर्ष जर्मनी में काथलिक धर्मतत्वविज्ञान एवं पर्यावरणीय नैतिक शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. मारकुस वॉग्ट, फ्राँस के काथलिक पुरोहित एवं पत्रकार फादर दोमिनीक ग्राईनर तथा जर्मन रेडियो के कार्यक्रम निर्माता डॉ. बुखार्ड शेफर्स को प्रदान किया गया है।

पुरस्कार समारोह में कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने कहा, "हमें वास्तव में समाज के सभी एजेंटों की भागीदारी की आवश्यकता है, विशेष रूप से, उद्यमियों की भागीदारी की जरूरत है, न केवल अनुदान के प्रति वचनबद्धता बढ़ाने के लिए बल्कि एक निर्णायक तरीके से, असमानता की समस्या और आय की विषमता जैसी समस्याओं का समाधान ढूँढ़ने के लिये।"

कार्डिनल महोदय ने कहा, सामाजिक असमानता और आय की विषमता, विकसित देशों में भी, कई लोगों एवं परिवारों में दुर्बलता को प्रश्रय देती है इसलिये इसके अन्त हेतु उदारता की भावना को प्रोत्साहन दिये जाने की नितान्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "इस सन्दर्भ में सुसमाचार हमारे समक्ष ज़खेयुस का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जिसने प्रभु येसु की दृष्टि से विस्मित होकर अपनी आधी सम्पत्ति निर्धनों में वितरित कर दी थी।"

यूरोप में आज ज्वलंत "आप्रवासियों एवं शरणार्थियों"  के विषय पर बोलते हुए कार्डिनल पारोलीन ने कहा ने कि मौलिक लक्ष्य "प्रत्येक व्यक्ति के प्रतिष्ठापूर्ण जीने के अधिकार की सुरक्षा होना चाहिये ताकि किसी को भी आप्रवास के लिये बाध्य न होना पड़े।" उन्होंने कहा कि इसके लिये ज़रूरी है कि विश्व की सरकारें एवं अन्तरराष्ट्रीय समुदाय "शांति के पक्ष में निर्णायक प्रयास" करे।








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