2017-05-18 16:37:00

येसु का प्रेम असीम है, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 18 मई 2017 (वीआर सेदोक): येसु का प्रेम असीम है यह उस प्रेम के समान नहीं है जो सत्ता और अभिमान की खोज करता है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 18 मई को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

प्रवचन में संत पापा ने संत योहन रचित सुसमाचार पाठ के उस अंश पर चिंतन किया जहाँ येसु अपने प्रेम में बने दृढ़ रहने की सलाह देते हैं, ″यदि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे, तो मेरे प्रेम में दृढ़ बने रहोगे।″

संत पापा ने कहा कि येसु हमें अपने प्रेम में दृढ़ बने रहने की सलाह इस लिए देते हैं क्योंकि यह पिता का प्रेम है तथा उनकी आज्ञाओं का पालन करने का निमंत्रण। उन्होंने कहा कि दस आज्ञाएँ इसके आधार हैं किन्तु हमें येसु द्वारा दैनिक जीवन से संबंधित शिक्षा का भी पालन करना चाहिए क्योंकि यही सच्चा ख्रीस्तीय जीवन है।

संत पापा ने कहा कि दुनिया में कई तरह प्यार हैं जो हमें येसु के प्रेम से दूर कर देते हैं। जबकि सभी आज्ञाओं का सार एक ही है, पिता से प्रेम। दुनिया हमें धन, अभिमान और सत्ता आदि के प्रति प्रेम को प्रस्तुत करती है। इससे भी बुरी बात ये है कि उन्हें हासिल करने के लिए अनुचित रास्तों को अपनाया जाता है। संत पापा ने कहा कि ये प्यार येसु से नहीं आते और न ही पिता से आते हैं।

संत पापा ने येसु के प्रेम का अर्थ बतलाते हुए कहा कि इसका अर्थ है हम जितनी की आशा करते हैं उससे अधिक। उनके प्रेम की कोई सीमा नहीं है। येसु ने कहा है कि आज्ञाओं का पालन करने के द्वारा हम पिता के प्रेम में दृढ़ बने रह सकते हैं। येसु के लिए महान प्रेम है उनके प्रेम में दृढ़ बने रहना, जिसमें आनन्द है। प्रेम और आनन्द ईश्वर की कृपा है।

उन्होंने सभी ख्रीस्तीयों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों और धर्माध्यक्षों से कहा कि वे लोगों को आनन्द बाटें क्योंकि हमारा ख्रीस्तीय मिशन है लोगों के बीच खुशी लाना। उन्होंने सलाह दी कि हम प्रेम एवं आनन्द की कृपा के लिए ईश्वर से याचना करें।

 








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