2017-05-12 14:59:00

संत पापा ने वाटिकन द्वारा आयोजित वेधशाला के प्रतिभागियों को संबोधित किया


वाटिकन रेडियो, शुक्रवार, 12 मई 2017 (सेदोक)  संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन द्वारा आयोजित वेधशाला के प्रतिभागियों को अपने संबोधन में कहा कि इन दिनों कस्तल गन्दोल्फो में हो रहे विचार-विमर्श के मुद्दों पर कलीसिया विशेष रुचि रखती है क्योंकि वे हमें विस्तृत रूप से प्रभावित करते हैं।

उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड  की उत्पत्ति और उसका विकास, अंतरिक्ष और समय की संरचना जैसी विषयवस्तुएं विज्ञान, दर्शन, ईशशास्त्र और हमारे जीवन की आध्यात्मिकता से संबंधित हैं। ये सारे तथ्य कई बातों को हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं जो कभी आपस में मेल खातीं तो कभी एक-दूसरे का विरोध करती हैं।

काथलिक पुरोहित मान्यवर जॉर्जिस लेमेतरे विज्ञान और विश्वास इन दो विषयों के मध्य सजीव तनाव से अच्छी तरह वाकिफ हैं और विज्ञान और ईश शास्त्र दोनों विषयों के बीच सुव्यवस्थित रुप में अन्तर स्पष्ट कर सकते हैं।

अंतरिक्ष और समय की विशालता के आगे मानव के अनुभव और आश्चर्य नगण्य हैं जैसे कि स्तोत्र कार कहता है, “जब मैं तेरे बनाये हुए आकाश को देखता हूँ तेरे द्वारा स्थापित तारों और चन्द्रमा को, तो सोचता हूँ कि मनुष्य क्या है, जो तू उसकी सुधि ले”ॽ महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्‍टीन कहा करते थे, “दुनिया का अनंत रहस्य अपने में अबोधगम्य है” बह्मांड का अस्तित्व और अबोधगम्यता कोई आकस्मिक घटना या अव्यवस्था नहीं वरन यह ईश्वरीय विवेक की निशानी है।

संत पापा ने कहा कि मैं वेधकार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ और मैं आप से निवेदन करता हूँ कि आप इसके द्वारा सत्य के धरातल को छूने का प्रयास करें। हमें सत्य से भयभीत नहीं होना है और न ही अपने विचारों और सोच तक सीमित हो कर रहना है बल्कि हमें अपनी नम्रता में विज्ञान की नई खोजों का स्वागत करना है। उन्होंने कहा कि हम जैसे-जैसे ज्ञान की सीमाओं की ओर बढ़ते वैसे-वैसे हम ईश्वर के सच्चे ज्ञान को अपने जीवन में अनुभव करते हैं जो हमारे हृदय को परिपूर्ण से भरता है।     

             








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