2017-05-05 12:14:00

भारत सरकार पर आदिवासी अस्मिता मिटा देने का लगा आरोप


नई दिल्ली, शुक्रवार, 5 मई 2017 (ऊका समाचार): झारखण्ड में सरकार द्वारा एक कॉलेज के नाम को एक हिन्दू राष्ट्रवादी के नाम में परिवर्तित करने के बाद से राज्य में छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। कलीसियाई एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं ने आरोप लगाया है कि स्वदेशी जनजातियों की पहचान को ख़त्म करने के लिये सरकार ने ऐसा किया है।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की आदिवासी प्रेरिताई सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष सिमडेगा के काथलिक धर्माध्यक्ष विन्सेन्ट बरवा ने ऊका समाचार से कहा, "सरकार का कदम पूरी तरह से अस्वीकार्य है, हम इसका खण्डन करते हैं।"  

17 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी समर्थक झारखण्ड सरकार ने राज्य के विख्यात राँची कॉलेज का नाम बदल कर इसे डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम दे दिया था। इसी के बाद से विरोध प्रदर्शन शुरु हो गये हैं।

श्री मुखर्जी ने सन् 1951 ई. में राष्ट्रवादी भारतीय जन संघ की स्थापना की थी। संघ एक हिन्दू राष्ट्रवादी आन्दोलन है जिसे भाजपा का पूर्वाद्ध माना जाता है।

केन्द्र तथा उत्तरप्रदेश के कई राज्यों में भाजपा के सत्ता में जाने के बाद से हिन्दू चरमपंथी दल मज़बूत हुए हैं तथा भारत में विद्यमान विविध संस्कृतियों की उपेक्षा करते हुए वे भारत को एक  हिन्दू प्रभुता वाला देश बनाने का प्रयास करते रहे हैं।

धर्माध्यक्ष बरवा ने कहा कि भारत के अन्य राज्यों के लोग सरकार के इस फैसले के दुष्परिणामों को स्पष्ट रूप से न देख पायें किन्तु इससे आदिवासी समुदायों के जनजीवन और उनकी पहचान को भारी क्षति होगी।

उन्होंने कहा कि झारखण्ड की धरती के लिये कई आदिवासी नेताओं ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिये हैं किन्तु सरकार ने उनके नाम पर किसी कॉलेज का नाम नहीं बदला है।

विगत दो सप्ताहों से आदिवासी छात्रों के विरोध प्रदर्शन जारी हैं। छात्रों ने झारखण्ड सरकार पर हिन्दू चरमपंथी विचारधाराओं को लोगों पर थोपने का भी आरोप लगाया है।








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