2017-04-29 12:41:00

सहिष्णुता के प्रचार का सन्त पापा फ्राँसिस ने किया आह्वान


काहिरा, शनिवार, 29 अप्रैल सन् 2017 (सेदोक): मिस्र के  प्रधान मौलवियों से सन्त पापा फ्राँसिस ने अपील की कि वे अपने शागिर्दों को ईश्वर के नाम पर हिंसा का बहिष्कार करना सिखायें तथा उनके समक्ष शांति एवं सहिष्णुता का प्रचार करें। शुक्रवार 28 अप्रैल को, कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सन्त पापा फ्राँसिस मिस्र की राजधानी काहिरा पधारे थे।

शुक्रवार के दिन उनका प्रमुख कार्यक्रम काहिरा में 1000 वर्ष प्राचीन, सुन्नी मुस्लिम ज्ञान पीठ, अल-अज़हर विश्वविद्यालय की भेंट तथा वहाँ शांति सम्मेलन को सम्बोधन रहा। इस स्थल पर प्रधान मौलवी ईमाम शेख अहमद एल- तैयाब ने सन्त पापा फ्राँसिस का भव्य स्वागत किया तथा सन्त पापा ने शांति सम्मेलन में भाग लेनेवाले समस्त विश्व के मौलवियों एवं विद्धानों को सम्बोधित किया।

यह स्मरण दिलाते हुए कि मिस्र की प्राचीन सभ्यताओं ने ज्ञान और उदार मन की शिक्षा की खोज को महत्व दिया है सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा कि आज भी युवाओं के बीच धार्मिक उग्रवाद की "बेरहमी" का सामना करने के लिए इसी तरह की प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "हिंसा एवं घृणा को उकसानेवालों को करारा जवाब देने के लिये हमें युवाओं के संग-संग चलना होगा तथा परिपक्वता के साथ धैयर्पूर्वक भलाई के विकास हेतु काम कर हिंसा की आग भड़काने वालों के तर्क का प्रत्युत्तर देना होगा।"

शुक्रवार को शांति सम्मेलन में सन्त पापा ने ज़ोर देकर कहा, "धार्मिक नेता होने के नाते हमारा आह्वान किया जाता है कि हम उस हिंसा को समाप्त करें जिसपर प्रायः कथित पवित्रता का पर्दा पड़ा होता है। एक बार फिर दृढ़तापूर्वक एवं स्पष्ट ढंग से हम धर्म अथवा ईश्वर के नाम पर ढाई जानेवाली हर प्रकार की हिंसा, प्रतिशोध एवं घृणा का बहिष्कार करें।" 

ग़ौरतलब है कि अल अज़हर जैसी मुस्लिम संस्थाओं ने इस्लामिक उग्रवाद का दृढ़तापूर्वक खण्डन किया है तथापि, मिस्र की मीडिया एवं मानवाधिकार संगठनों ने सरकार पर इस्लाम धर्म में सुधार जैसे दकियानूसी ख़्यालों से मुक्त होने तथा ग़ैरमुसलमानों के विरुद्ध घृणा को समाप्त करने हेतु पर्याप्त न करने का आरोप लगाया है।

मिस्र में अपनी दो दिवसीय प्रेरितिक यात्रा सन्त पापा फ्राँसिस ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह एल-सीसी के साथ वैयक्तिक मुलाकात तथा नागर समाज एवं विश्व के लगभग 800 कूटनीतिज्ञों से मुलाकात कर आरम्भ की। इस अवसर पर उन्होंने उग्रवादियों की हिंसा को समाप्त करने हेतु मिस्र सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को समर्थन देते हुए कहा, "मिस्र एवं मध्यपूर्व में शांति की बहाली तथा हिंसा एवं आतंकवाद को समाप्त करने में मिस्र को बेज़ोड़ भूमिका निभानी है।"

मिस्र की ओर से काथलिक कलीसिया के शीर्ष का अपने यहाँ हार्दिक स्वागत करते हुए मिस्र के राष्ट्रपति एल-सीसी ने कहा कि जो लोग आतंकवादी कृत्यों में लिप्त रहते हैं वे मुसलमान होने का दावा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, "सच्चा इस्लाम धर्म निर्दोष लोगों की हत्या का आदेश नहीं देता है।"








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