वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 27 अप्रैल 2017 (वीआर सेदोक): ″ख्रीस्तीय होना एक सामाजिक प्रतिष्ठा नहीं किन्तु आज्ञापालन का साक्ष्य है जैसा कि येसु ने किया।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में 27 अप्रैल को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।
उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″केवल पवित्र आत्मा हमारे हृदय को बदल सकते हैं तथा हमें आज्ञापालन के साक्ष्य हेतु प्रेरित कर सकते हैं।″ उन्होंने कहा कि यह पवित्र आत्मा का कार्य है जिसके लिए हमें प्रार्थना करने की आवश्यकता है ताकि हम आज्ञापालन का साक्ष्य दे सकें क्योंकि यही सच्ची ख्रीस्तीयता है।
संत पापा ने प्रवचन में साक्ष्य के परिणाम से भी अवगत कराते हुए कहा कि इसका परिणाम है अत्याचार। उन्होंने कहा, ″जब येसु धन्यताओं के बारे बतलाते हैं तो उसमें अंतिम वाक्य है धन्य हैं वे जो अत्याचार सहते हैं।″ उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीयों के जीवन से क्रूस को हटाया नहीं जा सकता और न ही सामाजिक प्रतिष्ठा उनके लिए है। आध्यात्मिकता को जीने का अर्थ यह नहीं है कि यह मुझे अच्छा बनाता। संत पापा ने कहा कि यह पर्याप्त नहीं है, एक ख्रीस्तीय का जीवन आज्ञापालन के साक्ष्य का जीवन है जिसके लिए उसे बदनामी, अफवाह एवं अत्याचार का सामना करना पड़ता है।
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