2017-04-21 12:19:00

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने आप्रवास पर अन्तरराष्ट्रीय वार्ता में दी अपनी राय


न्यू यॉर्क, शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017 (सेदोक): न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में, 18 अप्रैल को आप्रवास पर अन्तरराष्ट्रीय वार्ता सम्बन्धी मंच के समक्ष, परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक, वाटिकन के प्रतिनिधि, महाधर्माध्यक्ष बेरनारदीतो आऊज़ा ने अपने विचार रखे। 

धारणीय विकास लक्ष्यों को लागू करने पर राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए  महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा, "बाधित आप्रवास का कारण एकात्मता का अभाव तथा प्रायः हमारे पड़ोसियों द्वारा गुणकारी शिक्षा, प्रतिष्ठापूर्ण रोज़गार, उचित आवास प्रबन्ध एवं प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की जानबूझकर की गई उपेक्षा है।"

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि हमारा प्राथमिक दायित्व, "हमारे भाइयों एवं बहनों की मौलिक ज़रूरतों को पूरा करना तथा घर में उनकी शांति एवं सुरक्षा को सुनिश्चित्त करना होना चाहिये।"

सरकारों को आप्रवास तथा इससे उत्पन्न समस्याओं का किस प्रकार निपटारा करना चाहिये इस विषय में बोलते हुए महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा, "आप्रवास एक मंत्रालय या सरकार के किसी भी विभाग द्वारा संचालित नहीं किया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "इसका व्यापक प्रत्युत्तर देने के लिए 'संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण' की आवश्यकता होती है, जो अलग-अलग मंत्रालयों और अधिकारियों के दृष्टिकोण को एकीकृत करे तथा मानव व्यक्ति की अभिन्न प्रकृति को ध्यान में रखते हुए आप्रवास की जटिलताओं के समाधान हेतु आम प्रतिक्रिया की आवश्यकता को स्वीकार करे।"

आप्रवासियों के अलंघनीय अधिकारों के सम्मान हेतु सन्त पापा फ्राँसिस को उद्धृत करते हुए उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि सन्त पापा ने "सभ्यता के कर्तव्य" की अवधारणा को प्रस्तुत किया है।

यह अवधारणा, उन्होंने कहा, "केवल सरकारों के दायित्वों को ही प्रकाशित नहीं करती अपितु आप्रवासियों के कर्त्तव्यों पर भी बल देती है तथा उन्हें, अपने मौलिक मूल्यों एवं संस्कृतियों को बरकरार रखते हुए, उन देशों के कानून एवं परम्पराओं के सम्मान हेतु आमंत्रित करती है जिन्होंने उदारतापूर्वक उन्हें शरण प्रदान की है।"








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