2017-04-16 13:57:00

प्रभु सचमुच जी उठे हैं, पास्का जागरण में संत पापा


वाटिकन सिटी, रविवार, 16 अप्रैल 17 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 15 अप्रैल को पास्का जागरण की धर्मविधि का अनुष्ठान करते हुए विश्वासियों को येसु के जी उठने का आनन्दमय समाचार दिया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, ″विश्राम दिवस के बाद, सप्ताह के प्रथम दिन, पौ फटते ही, मरियम मगदलेना और दूसरी मरियम कब्र देखने आयीं।” (मती. 28:1). 

संत पापा ने कहा कि हम इसकी कल्पना कर सकते हैं कि वे किस तरह वहाँ गयीं... वे उसी तरह गयी जैसे लोग कब्रस्थान जाते हैं, अनिश्चित एवं चिंतित क़दमों से। वे उन लोगों की तरह सोचते हुए गयीं जो किसी की मृत्यु को स्वीकार करने में कठिनाई महसूस करते हैं। हम उनके चेहरों की कल्पना करें जो उदास और आँसुओं से भींगे थे तथा उनके अंदर यही सवाल बार-बार उठ रहे थे कि क्या प्रेम सचमुच मर चुका है?

भयभीत शिष्यों की तरह नहीं किन्तु वे महिलाएँ वहाँ उसी तरह खड़ी रहीं जिस तरह वे क्रूस पर प्रभु के अंतिम सांस लेते समय तथा अरिमथिया के जोसेफ द्वारा येसु के शव को अपनी कब्र में रखते वक्त उपस्थित थीं। दोनों नारियाँ वहाँ से भाग नहीं गयीं, वे वहाँ स्थिर बनी रहीं और उन्होंने जीवन में अन्याय से उत्पन्न अत्यन्त कड़वाहट का स्वाद चखा। हम उन्हें कब्र के सामने दुःख से व्याकुल देखती हैं किन्तु साथ ही यह भी देखती है कि वे उन बातों को स्वीकार करने में असमर्थ थीं कि क्या चीजों का अंत इस तरह भी हो सकता है?   

यदि हम इस दृश्य की कल्पना करने का प्रयास करेंगे, तो इन महिलाओं के चेहरे में हम कई अन्य चेहरों को देखेंगे, कई माताओं एवं दादियों के चेहरे को, बच्चों एवं युवाओं के चेहरे को जो अन्याय और क्रूरता के भारी बोझ ढोते हैं। उनके चेहरों में हम उन लोगों को देख सकते हैं जो हमारे शहरों की गलियों पर घूमते हैं, अत्यन्त गरीबी की मार सहते हैं और जो शोषण और मानव तस्करी से उत्पन्न कष्ट झेलते हैं। हम उन लोगों के चेहरों को भी देख सकते हैं जिन्हें आप्रवासी, देश निष्कासित, आवासहीन एवं परिवार रहित होने के कारण अपमान का सामना करना पड़ता है। हम उन चेहरों को देख सकते हैं जिनकी आँखें अकेलेपन एवं परित्यक्त होने का भाव बयां करती हैं। क्योंकि उनके हाथों में झुर्रियाँ आ गयी हैं। उनके चेहरे उन महिलाओं एवं माताओं को प्रकट करती हैं जो अपने बच्चों को भ्रष्टाचार के कारण मसल दिये जाते हुए देखते हैं जिनके अधिकार नष्ट कर दिये जाते और आशाएँ तोड़ दी जाती हैं। प्रतिदिन के स्वार्थ पूर्ण कृत्य जो लोगों की आशाओं को क्रूसित करते एवं दफना देते हैं। अपने दुःखों में वे दो महिलाएँ उन महिलाओं के दुःख को व्यक्त करती हैं जो शहर की गलियों पर भटक रहे हैं इस प्रकार मानव प्रतिष्ठा को सूली पर चढा दिया गया है।

संत पापा ने कहा कि उन दो महिलाओं के चेहरे कई अन्य लोगों के चेहरों को प्रतिबिम्बित करते हैं शायद आपके और मेरे भी। उन्हीं की तरह हम भी चलना जारी रखते हैं तथा यह स्वीकार करने में असमर्थ होते हैं कि चीजें इस तरह भी समाप्त हो सकती हैं।

यह सच है कि हम अपने हृदय में एक प्रतिज्ञा एवं ईश्वर की सच्चाई की निश्चितता को धारण किये हुए हैं किन्तु हमारे चेहरे घावों को प्रकट करते हैं, अपने तथा दूसरों के द्वारा बेवफाई के कई कृत्यों, संघर्ष और युद्ध से खोने के निशान। हमारे हृदयों में हम जानते हैं कि चीजें अलग ढंग से हो सकती हैं किन्तु हम उसपर ध्यान नहीं दे पाते तथा अपने कब्रों एवं कुंठा के साथ जीने के आदी हो जाते हैं। उससे भी बदतर कि हम उन्हें जीवन के नियम मान लेते तथा उनसे भागने के विभिन्न रूपों के माध्यम से हम अपने अंतःकरण को जला डालते हैं, जो उस आशा को नष्ट कर देती है जिसे ईश्वर ने हमें प्रदान किया है।

बहुधा हम उन नारियों के समान व्यवहार करते हैं जो ईश्वर की इच्छा एवं उदासी भरे त्याग दोनों के लिए तैयार थे, जिनके लिए न केवल प्रभु मर जाते हैं किन्तु उसके साथ हमारी आशा भी समाप्त हो जाती है। 

संत पापा ने कहा कि ″वहाँ अचानक भारी भुकम्प हुआ (मती 28:2).  महिलाएँ अत्यन्त भयभीत हो गयीं मानो कि किसी ने उनके पावों के नीचे की जमीन को हिला दिया हो किन्तु इस बार वहाँ धीरज बंधाने हेतु कोई उपस्थित था, जिसने कहा, ″डरो मत, उन्होंने जैसा कहा था वे जी उठे हैं।″  यही वह संदेश है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी यह पावन रात्रि हमें प्रदान करती आ रही है। ″प्यारे भाइयो एवं बहनो, नहीं डरें उन्होंने जैसा कहा था वे जी उठे हैं। जीवन जिसे मृत्यु ने क्रूस पर समाप्त करने की कोशिश की थी अब पुनर्जीवित होकर पुनः नया सांस ले रहा है। पुनर्जीवित प्रभु के हृदय की धड़कन हमारे लिए एक उपहार और एक नई क्षितिज के रूप में प्रदान किया गया है और जिसके बदले हमें भी परिवर्तित होकर एक नई मानवता के बीच खमीर बनने के लिए निमंत्रित किया जाता है। ख्रीस्त ने कब्र के पत्थर को हटा दिया है किन्तु वे उन सभी दीवारों को भी तोड़ना चाहते हैं जो हमें निराशा में बंद कर देते हैं। सावधानी पूर्वक निर्मित हमारे गढ़ में जो हमें जीवन से अलग कर देते हैं, सुरक्षा के लिए हमारी विवश आवश्यकता तथा अनगिनत महत्वाकांक्षा जो हमें दूसरों की गरिमा के साथ खिड़वाड़ करने हेतु बाध्य करते हैं।

जब महायाजक और धार्मिक नेताओं ने रोमन लोगों के साथ यह माना किया कि अंतिम हिसाब वे ही कर सकते हैं और यह मात्र उन्हीं पर निर्भर करता है किन्तु ईश्वर ने अचानक उस विचार को तोड़ दिया, उन्होंने सभी नियमों को पलट दिया तथा नई संभवना प्रदान की। संत पापा ने कहा कि ईश्वर पुनः हमसे मुलाकात करने आते हैं, निर्माण करने तथा करुणा के एक नए युग को समेकित करने। यह प्रतिज्ञा आरम्भ से ही की गयी थी। यह ईश्वर का अपने विश्वासियों के लिए आश्चर्य है। हम आनन्द मनायें क्योंकि हमारे अंदर छिपा जीवन पुनरुत्थान का बीज है। जीवन का उपहार जो जागने के लिए तैयार है।

यह रात हमें प्रभु के हृदय की धड़कन की घोषणा करने के लिए प्रेरित करती है। ख्रीस्त जी उठे हैं यही कारण है कि मरिया मगदलेना और अन्य नारियाँ कब्र की ओर तेजी से गयीं। यही सुसमाचार उन्हें तुरन्त लौट कर दूसरों को समाचार देने हेतु प्रेरित करता है (Mt 28:8)  तथा उनकी उदासी दूर हो जाती है और वे शहर में अन्य लोगों से मुलाकात करने लौटते हैं।

संत पापा ने कहा कि अब वे दो महिलाएँ जिन्हें हमने कब्र के पास मुलाकात की थीं मैं कहता हूँ कि हम उनके साथ शहर की ओर जायें। हम अपने कदमों को विभिन्न जगहों पर पुनः ले जायें तथा हमारे चेहरे की आकृति को बदलें। हम उनके साथ सुसमाचार का प्रचार करने जायें। उन सभी स्थानों में जहाँ कब्र अंतिम शब्द प्रतीत होता है जहाँ से बाहर निकलने के लिए मृत्यु ही एकमात्र रास्ता के समान लगता है। हम घोषणा करने हेतु वापस लौटें, उसे अन्यों के बीच बांटें तथा यह प्रकट करें कि प्रभु सचमुच जी उठे हैं। वे जीवित हैं तथा चाहते हैं कि उन सभी के चेहरों पर जिन्होंने आशा का दफन कर दिया था, स्वप्न तथा प्रतिष्ठा को गाड़ दिया था येसु का पुनरुत्थान प्रतिबिम्बित हो। परन्तु संत पापा ने कहा कि यदि हमारी आत्मा हमें इस रास्ते पर जाने नहीं देती है तब हम ख्रीस्तीय नहीं हैं।

संत पापा ने सभी को बाहर निकलने का आह्वान करते हुए कहा कि हम जाएँ। इस नया सबेरा एवं ख्रीस्त प्रदत्त नवीनता के द्वारा हम अपने आप को आश्चर्यचकित होने दें। हम उनकी कोमल एवं स्नेह द्वारा हमारे कदमों को संचालित होने दें। हम उनके दिल की धड़कन द्वारा हमारे हृदय की बेहोशी को दूर करें।








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