2017-03-29 15:46:00

नाइजीरिया: ख्रीस्तीयों के व्यवस्थित विलोपन से कलीसिया चिंतित है


केफानचेन, बुधवार 29 मार्च, 2017 (वी आर सेदोक) : नाइजीरिया के केफानचेन धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष जोसेफ बागोबीरी ने देश के उत्तरी भाग में ख्रीस्तीय धर्म के व्यवस्थित विलोपन का मुकाबला करने के लिए सभी ख्रीस्तीय संप्रदायों को एक प्रभावी तालमेल बनाने का आहृवान किया है।

नाइजीरियन काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के एक प्रतिनिधिमंडल ने केफानचेन में धर्माध्यक्ष जोसेफ बागोबीरी से मुलाकात की और सहानुभूति प्रकट करते हुए कहा कि वे काथलिक विश्वासियों, दक्षिणी कटूना के ख्रीस्तीय समुदायों और हाल ही में फुलानी मवेशी चरवाहों पर हुए अत्याचार से अत्यंत दुःखी हैं जिसमें हजारों ख्रीस्तीयों की मौत हुई और लाखों नायरों की संपत्ति का विनाश हुआ।

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष और जोस महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष इग्नासियुस ने किया। उनके साथ नाइजीरिया के काथलिक सचिवालय के महासचिव फादर राल्फ माडू, सचिवालय के उप-महासचिव फादर जकारिया सामयूमी, सचिवालय के सामाजिक संचार निदेशक फादर क्रिस एन. भी थे।

धर्माध्यक्ष बागोबीरी ने कहा, ″ चूंकि हमारे पास सरकार नहीं है जो हमारी दुर्दशा में मदद करे। अतः हमारे कष्टों को हमने सीधे ईश्वर के पास पहुँचाई है। सिर्फ वे ही हमारी वर्तमान स्थिति से हमें बचा सकते हैं। हमारी आशा उन्हीं में है और हमारी आशा बेकार नहीं होगी क्योंकि हमें पता है वे हमारी कठिनाईयों को जानते हैं। जिसप्रकार उन्होंने इस्राएल के लोगों को मिस्रियों के चंगुल से बाहर निकाला उसी प्रकार वे हमें भी बाहर निकालेंगे।″

धर्माध्यक्ष बागोबीरी ने खुलासा किया कि उत्तरी नाइजीरिया में ख्रीस्तीय धर्म के अस्तित्व के लिए चुनौतियां संरचनात्मक अन्यायों पर आधारित हैं जो संस्थागत बन गए हैं विशेषकर दक्षिणी कटूना में। अतः उन्होंने हिमायत की कि धर्मसतावट के समय विश्वासियों को अपने विश्वास में मजबूत रहने के लिए कलीसिया कुछ नये तरीकों को विकसित करे।

उन्होंने कहा, ″हमारी प्रार्थना है कि प्रभु हमें शक्ति और मार्ग प्रदर्शन करेंगें जिससे कि निरंतर हमलों और उत्पीड़न के बावजूद ख्रीस्तीय धर्म जीवित रह सके।"

धर्माध्यक्ष बागोबीरी की बातों को सुनकर महाधर्माध्यक्ष इग्नासियुस ने कहा, ″ सबसे पहले, हमें लगातार सरकार की व्यवस्था में अंतर्निहित संरचनात्मक अन्यायों को सामने लाना होगा और बारंबार इस बात की चर्चा करनी होगी।"

दूसरी बात कि हमें हमारे अधिकारों के लिए संवैधानिक साधनों का उपयोग करना होगा। इसलिए हमें अदालत में जाना बहुत जरुरी है हमें उन मानवाधिकार वकीलों से मदद लेना है जो न्याय के प्रति सहानुभूति रखते हैं इसमें कलीसिया को ही नहीं वरन पूरे देश के नागरिकों को सम्मिलित करना होगा।″  








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