2017-03-27 15:30:00

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा ने कहा, हम भी अंधकार में चलते हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 27 मार्च 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 26 मार्च को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एव बहनो, सुप्रभात″।

चालीसा काल के इस चौथे रविवार के सुसमाचार पाठ के केंद्र में येसु तथा एक जन्माध व्यक्ति हैं। (यो.9,1-41) ख्रीस्त उन्हें दृष्टिदान प्रदान करते हैं। वे उसे एक प्रतीकात्मक अनुष्ठान द्वारा सम्पन्न करते हैं, उन्होंने भूमि पर थूका, थूक से मिट्टी सानी और वह मिट्टी अंधे की आँखों पर लगा कर उससे कहा, ″जाओ सिलोआम के कुण्ड में नहा लो। वह व्यक्ति गया और नहाकर वहाँ से देखता हुआ लौटा।″   

संत पापा ने कहा कि वह व्यक्ति जन्म से अंधा था जिसको चंगा करने के द्वारा येसु अपने आपको संसार की ज्योति के रूप में हमारे लिए साबित एवं प्रकट करते हैं। जन्म से अंधा व्यक्ति हम सभी का प्रतीक है जो ईश्वर को जानने के लिए सृष्ट किये गये हैं किन्तु पाप के कारण हम अंधे व्यक्ति के समान हो जाते हैं, हमें नये प्रकाश की आवश्यकता है, विश्वास के प्रकाश की जिसे येसु हमें प्रदान करते है। वास्तव में, सुसमाचार में निहित अंधा व्यक्ति जो पुनः दृष्टि प्राप्त किया, उसके द्वारा ख्रीस्त का रहस्य प्रकट हुआ। येसु ने प्रश्न किया, ″क्या तुम मानव पुत्र में विश्वास करते हो और उस व्यक्ति ने येसु से कहा, ″महोदय, मुझे बता दीजिए कि वह कौन है जिससे मैं उस में विश्वास कर सकूँ?″ ईसा ने उससे कहा, ″तुमने उसे देखा है वह तो तुम से बातें कर रहा है। उसने उन्हें दण्डवत् करते हुए कहा, ″प्रभु मैं विश्वास करता हूँ।″ (पद.36,37)

संत पापा ने कहा कि यह घटना हमें हमारे विश्वास पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है, ईश्वर के पुत्र येसु ख्रीस्त में हमारे विश्वास पर। साथ ही साथ, बप्तिस्मा संस्कार पर जो विश्वास का प्रथम संस्कार है, जो जल एवं पवित्र आत्मा में पुनः जन्म द्वारा प्रकाश से आता है जैसा कि जन्म से अंधे व्यक्ति के साथ हुआ जब उसने सिलोआम के जलाशय में स्नान किया, वह देखने लगा। जन्म से अंधा व्यक्ति जो चंगा हुआ वह हमारा प्रतिनिधित्व करता है जब हमें मालूम नहीं होता है कि येसु ज्योति हैं, संसार की ज्योति। तब हम ज्योति को अन्य चीजों में ढ़ूँढ़ते हैं और जब हमें अंधकार में टटोलना पड़ता है तो हम छोटे-मोटे प्रकाश पर निर्भर रहना पसंद करते हैं।

तथ्य यह है कि अंधा का कोई नाम नहीं था, जबकि अपने चेहरे और नाम के द्वारा हम अपने को इतिहास में देख पाते हैं। बपतिस्मा द्वारा हमें भी ख्रीस्त की ज्योति मिली है और तब से, हम ज्योति की संतान की तरह आचरण करने हेतु बुलाये गये है। ज्योति की संतान की तरह आचरण करने के लिए हमारे विचारों के पूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता है, मूल्यों के एक नए पैमाने के अनुसार मनुष्यों और चीजों का न्याय करने की क्षमता, जो ईश्वर से आता है।

संत पापा ने बपतिस्मा संस्कार की मांग की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, ″बपतिस्मा संस्कार वास्तव में, ज्योति की संतान के रूप में दृढ़ता एवं निश्चितता के साथ तथा प्रकाश में जीने की मांग करता है।″ यदि हम पूछेंगे कि क्या आप विश्वास करते हैं कि येसु ईश्वर के पुत्र हैं? क्या आप विश्वास करते हैं कि सिर्फ वे ही हमारे हृदय को बदल सकते हैं? क्या आप विश्वास करते हैं कि सच्चाई को वे वैसा ही दिखा सकते हैं जैसे वे देखते हैं? क्या आप विश्वास करते हैं कि वे ज्योति हैं जो हमें सच्चा प्रकाश प्रदान करते हैं?  

सच्चा प्रकाश प्राप्त करने का मतलब क्या है? ज्योति में चलने का अर्थ क्या है? संत पापा ने कहा कि इसका अर्थ है सबसे पहले प्रकाश के गलत स्रोतों को छोड़ देना। सुषुप्त प्रकाश दूसरों के लिए चोट का कारण बनता है क्योंकि पूर्वाभास सच्चाई को विकृत कर देता तथा वह उन लोगों के प्रति घृणा उत्पन्न करने लगता है जो बेरहम न्याय करते तथा दण्ड की घोषणा करते हैं।

संत पापा ने अंधकार की ओर बढ़ने के कारणों को स्पष्ट करते हुए कहा कि हमारे दैनिक जीवन में  जब हम एक-दूसरे की टीका टिप्पणी करते हैं तब हम प्रकाश में नहीं बल्कि अंधकार में चलते हैं। दूसरा गलत प्रकाश है मोहक और अस्पष्ट होना। जब हम लोगों को अपनी पसंद के अनुसार तथा अपने लाभ, अपने सुख और यश के हिसाब से आँकते हैं तब हम संबंधों एवं परिस्थितियों के साथ सच्चे नहीं हैं। व्यक्तिगत लाभ के इस रास्ते पर जब हम चलने लगते हैं तब हम अंधकार में चलते हैं।

संत पापा ने धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि जिन्होंने संसार की ज्योति येसु का स्वागत सबसे पहले किया, वे हमें इस चालीसा काल में विश्वास के प्रकाश का स्वागत करने एवं बपतिस्मा में प्राप्त अमूल्य वरदान जिसको हम सभी ने प्राप्त किया है उसे पुनः प्राप्त करने में सहायता दे। यह नया प्रकाश हमारे मनोभाव एवं कार्यों को परिवर्तित कर दे। हमारी शून्यता एवं छुद्रता से ऊपर उठाकर हमें ख्रीस्त के प्रकाश को फैलाने हेतु सक्षम बने दे।

इतना कहने का बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पयर्टकों का अभिवादन किया। उन्होंने सूचना देते हुए कहा, ″कल अलमेरिया (स्पेन) में जोसे अलवारेज –बेनाविदेस देला तोर्रे तथा उनके 114 साथी शहीद, धन्य घोषित किये गये। इन पुरोहित, धर्मसमाजी और लोक- धर्मियों ने ख्रीस्त एवं शांति के सुसमाचार तथा भाईचारा पूर्ण मेल-मिलाप का वीरता पूर्वक साक्ष्य दिया है। उनका आदर्श एवं उनकी मध्यस्थता प्रेम की सभ्यता के निर्माण में कलीसिया की संलग्नता को पोषित करे।

इसके बाद संत पापा ने रोम तथा विश्व के कई हिस्सों से आये विभिन्न दलों का अभिवादन किया।

अंत में संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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