2017-03-25 15:24:00

संत पापा ने मिलान के पुरोहितों, धर्मसमाजियों के प्रश्नों का उत्तर दिया


मिलान, शनिवार, 25 मार्च 2017 (वीआर सोदक): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 25 मार्च को मिलान की प्रेरितिक यात्रा के दौरान मिलान स्थित महागिरजाघर में पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों से मुलाकात की तथा उनके प्रेरिताई संबंधी कई सवालों का उत्तर दिया।

पहले प्रश्न में फा. गब्रियेले जोया ने संत पापा से पूछा कि पुरोहितों का अधिक समय और शक्ति परम्परागत प्रेरिताई में चला जाता है जबकि नास्तिकता एवं विकासवाद, बहुभाषी, बहु-जातीय, बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक समाज की चुनौतियाँ हैं ऐसी स्थिति में पुरोहित किस तरह शुद्धिकरण एवं प्राथमिकता के लिए बुलाये जाते हैं ताकि सुसमाचार के आनन्द को बरकरार रखा जा सके?   

संत पापा ने इस सवाल के उत्तर में चुनौती पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आरम्भिक दिनों से ही ख्रीस्तीय कई चुनौतियों का सामना करते आ रहे हैं। कलीसियाई समुदाय में चुनौती और साथ ही उस समाज के साथ इसके संबंध में, जहाँ विश्वास अपना आकार ले रही थी। संत पापा ने संत पेत्रुस का कोरनेलियुस एवं अंतियोख तथा येरूसालेम में विवाद का स्मरण दिलाया जहाँ वे गैर-  ख्रीस्तीयों के बपतिस्मा संस्कार पर विचार कर रहे थे। (प्रे.च 15:1-6)

उन्होंने कहा, ″अतः हमें चुनौतियों से नहीं घबराना चाहिए,″ वे विश्वास के जीवित संकेत हैं उस समुदाय की जो अपने प्रभु की खोज करती है, अपनी निगाहें एवं हृदय खुली रखती हैं। संत पापा ने सचेत किया कि हमें उस विश्वास से भय खाना चाहिए जिसमें कोई चुनौती नहीं है और जो पूर्ण प्रतीत होता है। चुनौतियाँ हमें मदद करती हैं ताकि हमारा विश्वास विचारधारा न बन जाए। वे हमें प्रकाशना के प्रति बंद विचारों से बचाते हैं तथा खुली समझदारी को प्रकट करते हैं।

संत पापा ने बहुभाषी, बहु-जातीय, बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक समाज के बारे कहा कि कलीसिया अपने पूरे इतिहास में कई बार हमें इसकी शिक्षा दी है और मदद की है। पवित्र आत्मा स्वयं विविधता के स्वामी हैं। संत पापा ने स्मरण दिलाया कि कलीसिया के अंदर ही कितनी सारी विविधताएँ हैं हम एक होते हुए भी बहुमुखी हैं। सुसमाचार एक होते हुए भी चार तरह से है जो हमारे समुदाय को समृद्धि प्रदान करते हैं जो कि पवित्र आत्मा का कार्य है।

कलीसिया की परम्परा में विविधताओं को किस तरह व्यवस्थित करना है इसके कई उदाहरण हैं। इसके सकारात्मक तथा नकारात्मक पक्ष को पहचानने का प्रयास किया गया है। कितनी बार हमने एकता को समरूपता के रूप में समझने का भ्रम किया है। कितनी बार हमने बहुलता एवं बहुलवाद पर संदेह किया। इन दोनों ही स्थितियों में हमें तनाव को कम करने एवं संघर्ष दूर करने का प्रयास करना चाहिए जिसके लिए हम मानव प्राणी हैं। कोई भी चीज जो मानवता के विपरीत है, भले ही वह बिलकुल स्पष्ट और अलग सिद्धांत हो किन्तु प्रकाशना के समानांतर नहीं है वह मात्र वैचारिक है। ख्रीस्तीय होने के विश्वास को सुनिश्चित किया जाना चाहिए, न की भ्रांति को, उसे प्रतिबंधित किए बिना, मानवीय प्रक्रियाओं के भीतर जिसे हमारे प्रभु ने मुक्ति कार्य में पूरा किया है, जारी रखा जाना चाहिए।

संत पापा ने कहा कि हम पुरोहित होने के नाते विवेक से काम करने अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। संत पापा ने युवाओं की मदद करने की सलाह देते हुए उन्हें आत्म परीक्षण करने एवं आत्माओं की परख करने की शिक्षा देने का परामर्श दिया।  

उपयाजकों द्वारा कलीसिया में योगदान के प्रश्न पर संत पापा ने कहा कि वे कलीसिया को बहुत कुछ दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक विशेष बुलाहट है, ईश प्रजा की सेवा हेतु कृपा है। यह पवित्र वचन, वेदी तथा ग़रीबों की सेवा है। ईश्वर तथा लोगों की सेवा है। यह व्यक्तिगत बुलाहट न होकर परिवार में जीते हुए, ईश प्रजा के बीच रहते हुए एक बुलाहट है।  

संत पापा ने उपयाजकों को व्यक्तिगत जीवन जीने की ओर झुकाव के बीच सेवा हेतु विवेक से निर्णय लेने एवं प्रार्थना द्वारा ईश्वर की सेवा एवं लोगों की सहायता करने की सलाह दी।

धर्मसमाजी आज के समाज में तीन व्रतों का साक्ष्य किस प्रकार प्रेरिताई में अपना योगदान दे सकते हैं के उत्तर में संत पापा ने कहा कि वे अपनी विशिष्टता के आधार पर उन बिछुडे हुए लोगों के पास जाएँ, प्रभु से मुलाकात करने हेतु सीमाओं में जाएँ, जारी प्रेरिताई में नवीनता लायें। हमारे समाज के अंदर कई कमजोरियाँ हैं उन्हें आशीर्वाद में बदलें। उनके बीच ख्रीस्त को लेकर जायें।

संत पापा ने इस बात पर बल दिया कि वे ख्रीस्त को केंद्र में रखें क्योंकि वही हमें आनन्द और आशा प्रदान कर सकते हैं। 








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