2017-03-24 15:41:00

रानी मरिया के धन्य घोषणा हेतु कार्यवाही पूरी


वाटिकन रेडियो, शुक्रवार 24 मार्च 17 (वी आर) फ्राँसिकन क्लारिस्ट धर्मसमाज की शहीद धर्मबहन रानी मरिया को वाटिकन द्वारा धन्य घोषित करने की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।

संत पापा फ्रासिस ने 23 मार्च गुरुवार को संत घोषणा प्रकरण संबंधित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल अंजेलो अमातो ए.डी.बी. के साथ एक व्यक्तिगत मुलाकात में शहीद  रानी मरिया के “धन्य” घोषित किये जाने को स्वीकृत दी।

विदित हो कि रानी मरिया आज से करीब 22 साल पहले गरीबों की निःस्वार्थ सेवा के कारण घृणा की शिकार हुई जिन्हें 25 फरवरी 1995 को 54 बार चाकू से गोद कर मार दिया गया था। दक्षिण भारत के केरल राज्य की रहने वाली सिस्टर रानी मरिया 41 वर्ष की थी जब समन्दर सिंह नामक एक व्यक्ति ने स्थानीय जमीन दलालों के निर्देश में उनकी चाकू मारकर निर्मम हत्या उस समय कर दी जब वे बस से इंदौर की यात्रा कर रही थीं। उनके पार्थिव शरीर को देवास जिले के उदयनगर में दफनाया गया जहाँ वे गरीब भूमिहीन किसानों के बीच प्रेरिताई का कार्य करती थीं।

धन्य घोषणा की प्रकिया को पूरा करने के क्रम में इन्दौर के धर्माध्यक्ष ने 18 नवम्बर सन् 2016 को उनके कब्र की खुदाई करते हुए उनके अवशेषों को गिरजा घर में स्थापित किया। काथलिक कलीसिया में संत घोषणा की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी होती है और उनकी यह प्रक्रिया सन् 2003 में शुरू की गई थी जिसके चार वर्षों बाद वे प्रभु सेविका घोषित की गयी थाी।

रानी मरिया का जन्म 29 जनवरी 1954 को दक्षिण भारत, केरल राज्य के कोच्चि गाँव में हुआ था। 05 फरवरी को बपतिस्मा के तहत उनका नाम मरियम रखा गया था। उन्होंने सन् 1972 में फ्रांसिसकन धर्मसमाजी जीवन का चुनाव करते हुए अपने प्रथम व्रत 1 मई सन् 1974 को अपना  नाम रानी मरिया चुनाव। उन्होंने सन् 1975 में उत्तर भारत आकर अपने प्रेरिताई कार्य की शुरूआत की और सन् 1992 में उदयनगर आई।

सिस्टर रानी मरिया का नाम अन्तराष्ट्रीय स्तर पर तब जगजाहिर हुआ जब उनके हत्यारे समंदर सिंह को मरिया के परिवार वालों ने क्षमा करते हुए अपने परिवार का एक सदस्य के रुप में स्वीकार किया। रानी मरिया की छोटी बहन पौल जो स्वयं फ्राँसिसकन धर्मसमाज में एक धर्म बहन है अपनी दीदी के हत्यारे समंदर सिंह के हाथों में “राखी” बांधते हुए उसे अपना भाई स्वीकार किया। पौल के इस क्षमा की निशानी ने समंदर के जीवन को ही बदल डाला और आज वह जेल की सज़ा पूरी करने के बाद केन्द्रीय भारत के गाँवों में लोगों को प्रेरणादायक जीवन ज़ीने की सीख दे रहा है।








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