2017-03-17 16:22:00

एक अच्छा दण्डमोचक होने हेतु प्रार्थना अति आवश्यक है, संत पापा फ्रांसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 17 मार्च 2017 (सेदोक) संत पापा फ्रांसिस ने मेल-मिलाप की प्रेरिताई द्वारा आयोजित कार्यशाला में सहभागी हुए याजकों को संबोधित करते हुए “एक अच्छा दण्डमोचक”  बनने हेतु तीन बातों पर बल दिया।

संत पापा ने प्रतिभागियों को अपने संबोधन में कहा कि मैं मेल-मिलाप की ऐसी सभा को पसंद करता हूँ क्योंकि यह करुणा का दरबार है जो दिव्य करुण में हमारी आत्मा को एक अपरिहार्य औषधि प्रदान करता है। आप की यह संगोष्ठी वर्तमान समय में अति उपयोगी और आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में सहभागी होते हुए कोई अच्छा पापस्वीकार सुनने वाला नहीं बन सकता है वरन इसे हम जीवन भर सीखते हैं।

इस विषय पर उन्होंने तीन बातों पर बल देते हुए कहा कि ईश्वर का दण्डमोचक सर्वप्रथम भला गरेडिया येसु का एक अच्छा मित्र होता है। उसकी मित्रता के बिना वह अपने जीवन में पितातुल्य स्वभाव का विकास नहीं कर सकता जो मेल-मिलाप की धर्म विधि हेतु आवश्यक है। येसु के संग मित्रता में प्रवेश करते का अर्थ अपने प्रार्थनामय जीवन के प्रति निष्ठावान बने रहना है। अपने व्यक्तिगत प्रार्थना के द्वारा हम उनसे प्रेरिताई उदारता की कृपा माँग करें जिसके द्वारा हम दण्मोचन की याचना करने वालों को ईश्वरीय करुणा का एहसास दिला सकें।

मेल-मिलाप के प्रेरितिक कार्य में प्रार्थना हम नासमझी से ऊपर उठते हुए दूसरों के लिए ईश्वर की करुणा का स्रोत बनते हैं। पुरोहित जो प्रार्थनामय जीवन व्यतीत करता सर्वप्रथम अपने को पापी और ईश्वरीय क्षमा का पात्र समझता है। यह हमारे जीवन से कठोरता को दूर करती जो पापों को नहीं वरन पापी को रोके रखती है।

उन्होंने कहा कि प्रार्थना में हमें एक घायल हृदय को समझने की कृपा मांगने की जरूरत है जिससे  हम उसके प्रति करुणावान बन सकें और उसे क्षमा प्रदान कर सके जैसे कि भले समारी ने घायल व्यक्ति के घावों पर करुणा का तेल उड़ेला था। (लूका. 10.34)

प्रार्थना में हमें नम्रता रूपी बहुमूल्य गुण हेतु विनय करने की जरूरत है क्योंकि इसके द्वारा क्षमा का एक ईश्वरीय दिव्य उपहार हमारे द्वारा अन्यों के जीवन में प्रवाहित होता है जिसके फलस्वरूप येसु प्रसन्नचित्त होते हैं।

प्रार्थना में हमें पवित्र आत्मा का आहृवान करने की जरूरत है जिसके द्वार हम आत्माओं की पहचान करते हुए करुणावान बनते हैं। पवित्र आत्मा हमें एक पश्चातापी दुःखी हृदय के प्रति सहानुभूति के भाव रखते हुए उसके संग विवेकपूर्ण ढंग से पेश आने को मदद करता है जो पापों के कारण अपने को दबा हुआ पाता है।

दूसरा एक अच्छा दण्डमोचक आत्माओं की पहचान करने वाला होता है। इसके द्वारा हम अपनी योजना को पूरा नहीं करते और न ही अपनी शिक्षा को लोगों के साथ साझा करते हैं। एक पुरोहित के रुप में हम कलीसिया रूपी समुदाय में केवल ईश्वर की योजना को पूरा करने हेतु एक सेवक के रुप में बुलाये गये हैं।

आत्माओं की परख हमारी आंखों और हृदय को खोलती है जिसके द्वारा हम उन्हें मदद करते हैं जो अपनी अंतःकरण को ईश्वरीय ज्योति, शांति और करुणा हेतु खोलते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए आवश्यक है क्योंकि जो दण्डमोचन हेतु आते वे विभिन्न तरह की परिस्थितियों के शिकार होते हैं जिन्हें हमें परखने की जरूरत है।

और तीसरा दण्डमोचन स्थल सच्चे रुप में सुसमाचार प्रचार का स्थल है क्योंकि यहाँ लोगों का मिलन ईश्वर और उनकी करुणा से होता है। वे पापों की क्षमा द्वारा ईश्वर के चेहरे को शांति, दिलासा और खुशी के रुप में देखते हैं।

इस तरह अपने संबोधन के अंत में संत पापा ने कहा कि एक अच्छा दण्डमोचक बनने हेतु हमें येसु के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की जरूरत है जिससे हम लोगों में आत्माओं के प्रभाव को जान सकें और उनके लिए प्रार्थना करते हुए उनका मेल ईश्वर से करा सकें।








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