भारत, सोमवार, 13 मार्च 2017 (मैडर्स इंडिया): भारत के हज़ारों बच्चों को मदद करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘अनुकम्पा’ (कॉम्पाशन) का संम्पर्क टूट जाने के कारण प्रायोजक परेशान हैं तथा इस बात से चिंतित हैं कि उन्हें देश से बाहर भेज दिये जाने पर उन बच्चों का क्या होगा।
फेसबुक पर एक प्रायोजक ने लिखा, ″क्या हम भारत की बच्ची के लिए अनुदान कर सकते हैं? मैं उसे कृपा के सिंहासन के पास प्रतिदिन लाता हूँ तथा स्वर्गीय पिता से भरोसे के साथ प्रार्थना करता हूँ कि वे उस पर नजर रखें तथा बाहरी सहायता के बिना भी उसे आशीष प्रदान करें।″
एक अन्य प्रायोजक ने बच्चे की याद करते हुए लिखा, ″मैं उसे लिखना पसंद करता हूँ तथा उसके द्वारा सुनना चाहता हूँ। मेरा हृदय टूट गया है कि मैं अपना संबंध उसके साथ जारी नहीं रख सकता।″
मैटर्स इंडिया के अनुसार अब तक संस्था (कॉम्पाशन) ने भारत के कुल 1,47,000 बच्चों की मदद की है। इस संस्था ने बच्चों को स्वास्थ्य सेवा, भोजन, शिक्षा, किताब, कपड़े तथा उनके लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान की है।
अनुकम्पा के प्रवक्ता बेक्का के धर्माध्यक्ष ने सीबीएन समाचार से कहा, ″हमें पता नहीं है कि इन बच्चों का क्या होगा। फिर भी अनुकम्पा कलीसिया के साथ मिलकर काम करती है तथा भारत के अपने सहयोगियों को प्रोत्साहन देती है कि जिस किसी तरह से भी सम्भव हो वे बच्चों के साथ काम करना जारी रखें।″
अनुकम्पा आधिकारिक रूप से 15 मार्च को भारत छोड़ देगी अतः अनुदान करने वालों से कहा है कि वे उनके पत्रों को अब उन बच्चों तक नहीं पहुँचा पायेंगे। प्रभावी रूप से, अब बच्चों के लिए उनका प्रायोजन समाप्त हो जाएगा क्योंकि सहायता संगठन अब बच्चों की सेवा नहीं कर सकता है। अनुदान करने वालों के लिए बच्चों के साथ सम्पर्क करने हेतु मात्र एक ही अवसर है। उन्होंने कहा, ″हम अनुदान करने वालों के पत्रों को बच्चों तक पहुँचाने की एक कोशिश जरूर करेंगे। हम यह गारंटी नहीं दे सकते हैं कि वे इसे प्राप्त कर पायेंगे किन्तु कलीसिया के सहयोगी यदि अब भी बच्चों के सम्पर्क में होंगे तो वे उन्हें प्राप्त कर लेंगे।″
अनुकम्पा ने अनुदान करने वालों को बच्चों के साथ सीधा सम्पर्क नहीं करने की सलाह दी है।
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