2017-03-06 15:21:00

काश्तकारी अधिनियम में संशोधन को रोकने हेतु ख्रीस्तीय प्रतिनिधियों का ज्ञापन


राँची, सोमवार, 6 मार्च 2017 (मैटर्स इंडिया): राँची के महाधर्माध्यक्ष के कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो के नेतृत्व में, ख्रीस्तीयों के एक प्रतिनिधि दल ने झारखंड की राज्यपाल श्रीमति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की तथा राज्य में काश्तकारी अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव पर रोक लगाने का आग्रह किया।

4 मार्च को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा आयोजित एक सभा में आरोप लगाया गया था कि ख्रीस्तीय मिशनरी ही छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम एवं संथालपरगना काश्तकारी अधिनियम में संशोधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार हैं।

इस सुधार के द्वारा आदिवासियों की जमीन को उनके मालिकाना हक से अलग किये बिना, गैर कृषि कार्यों के लिए प्रयोग किया जायेगा।   

ख्रीस्तीय प्रतिनिधि मंडल द्वारा सौंपे गये ज्ञापन पत्र में कहा गया है कि ″यह संशोधन स्थानीय लोगों को उनकी जमीन से बेदखल कर देगा और वे भूमि हीन हो जायेंगे। हम अपील करते हैं कि इसे कानून बनने से रोका जाए।″ 

बीजेपी प्रवक्ता डीन दयाल बर्नावल ने ख्रीस्तीय प्रतिनिधियों की आलोचना करते हुए कहा कि वे आदिवासियों के कल्याण में रुचि नहीं रखते हैं।

ज्ञापन 23 से 24 फरवरी को राँची में भारतीय आदिवासी धर्माध्यक्षों की एक सभा के दौरान तैयार की गयी थी। बैठक में देश के आदिवासी लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित करने के एक प्रबुद्ध मंडल का गठन किया गया जिसमें कार्डिनल टोप्पो सहित झारखंड के सभी धर्माध्यक्षों ने हिस्सा लिया था।

सभा के प्रतिभागियों ने कानून में परिवर्तन की जानकारी देने तथा उनके जीवन पर इसका क्या प्रभावित पड़ेगा, इससे अवगत कराने हेतु सभी धर्मप्रांतों में लोगों से मुलाकात करने की बात पर जोर दिया था। उन्होंने आदिवासी मुद्दों पर सांख्यिकी और प्रासंगिक डेटा के साथ एक लेख तैयार करने का भी निर्णय लिया था।

आदिवासी समीक्षकों का मानना है कि संशोधित कानून द्वारा राज्य की कलीसिया के कामकाज में गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

झारखंड के पूर्व महालेखाकार ने सलाहकारों से कहा कि भारत में आदिवासियों की स्थिति अच्छी नहीं है। यह कलीसिया का कर्तव्य है कि वे लोगों की भलाई के लिए कार्य करें तथा उनके बीच जागरूकता लायें। उन्होंने यह भी कहा कि मात्र औद्योगीकरण को विकास के रूप में देखना गलत दृष्टिकोण है।

कानून में संशोधन झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा आदिवासी भूमि के अधिकार से संबंधित है।

भूमि झारखंड में एक अति संवेदनशील विषय है जहाँ 26.3 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासियों की है और जिसमें विधानसभा की एक तिहाई सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है।

झारखंड के आदिवासी प्रमुखों ने यह कहते हुए भूमि सुधार कानून का विरोध किया है कि आदिवासियों की जमीन छीनने हेतु यह भाजपा की साजिश है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमन्त सोरेन ने चेतावनी दी है कि सरकार एवं बेईमान उद्योगपति आदिवासियों की जमीन को हड़प लेना चाहते हैं।








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