2017-03-06 16:09:00

एडस रोगियों की सेवा में समर्पित ‘बर्मा की मदर तेरेसा’


यंगोन, सोमवार, 6 मार्च 2017 (फिदेस): संत जोसेफ ऑफ अपारिजन की सिस्टर मार्था म्या थवे ‘बर्मा की मदर तेरेसा’ कही जाती हैं जो एडस एवं एच आई वी से ग्रसित लोगों की अथक देखभाल कर रही हैं जो परिवार से निष्कासित हाशिये पर जीवन यापन करने हेतु मजबूर तथा उचित सेवा से वंचित हैं जबकि स्वास्थ्य संस्थाएँ उनकी ओर ध्यान ही नहीं देतीं। 

फिदेस समाचार से बातें करते हुए सिस्टर मार्था ने कहा, ″कई लोग एडस रोगियों का स्पर्श तक करने से डरते हैं। मैंने देखा है कि कई लोग बीमारी के कारण परिवार से बाहर निकाल दिये जाते हैं। कई गंभीर रूप से बीमार लोग सड़कों के किनारे पड़े रहते हैं जिनमें से कई उसी स्थिति में मर भी जाते हैं। सरकार एवं संस्थाओं द्वारा छोड़ दिये जाने के कारण हाल के दिनों में इस रोग से मरने वालों की संख्या में बृद्धि हुई है।″  

2001 में उन रोगियों की सेवा हेतु प्रेरित, एक बौद्ध धर्मबहन एवं कुछ उपकारकों तथा विद्यार्थियों की सहायता से ‘सेवा का दर्पण’ स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जो एडस पीड़ितों को शरण, भोजन, दवाई तथा अनाथों को शिक्षा प्रदान करती है। प्रथम केंद्र मोन के एक छोटे गाँव क्याईक्कामी में स्थापित की गयी थी जिसमें दो धर्मबहनों एवं 10 लोकधर्मी सेविकाओं द्वारा कचिन, शान तथा कारेन के एडस से पीड़ित लोगों का स्वागत एवं देखभाल किया जाता था। 

धर्मबहन ने कहा, ″यह दया से द्रवित कार्य है। मैंने देखा कि प्रतिदिन कई लोग मर रहे थे। हम अनेक लोगों को उनके जीवन के अंतिम समय में मदद करते हैं।″ उन्होंने याद किया कि काफी प्रयासों के बाद दवाई का प्रबंध हो सका एवं 20 रोगियों की चिकित्सा शुरू की गयी थी। विदेशी समेत कई उपकारकों की मदद से उन्हें 103 बच्चों एवं युवाओं की चिकित्सा में सफलता मिली। 2002 तक जहाँ एक लकड़ी का मकान था अब कई इमारतें बन चुकीं हैं और बहुत सारे लोगों की सेवा की जाती हैं, आज वहाँ एक छोटा सा क्लीनिक भी खोल दिया गया है जहाँ सामान्य स्वास्थ्य चिकित्सा भी प्रदान किया जाता है तथा मलेरिया एवं हेपेटाइटिस जैसे रोगों के परीक्षण किये जा सकते हैं। 








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