2017-03-02 14:57:00

चालीसा काल पुनः सांस लेने का समय है, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 2 मार्च 2017 (वीआर सेदोक): पुरानी परम्परा को जारी रखते हुए संत पापा फ्राँसिस ने राखबुध के दिन 1 मार्च को, रोम के संत सबीना महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया।

चालीसे की शुरूआत करते हुए संत पापा ने ख्रीस्तयाग प्रवचन में नबी योएल के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया, जहां लिखा है, ″पूरे हृदय से मेरे पास लौट आओ... प्रभु के पास लौट जाओ।″ संत पापा ने कहा कि ये शब्द हम प्रत्येक पर लागू होता है। हम प्रत्येक पिता के करूणावान प्रेम की ओर लौटना चाहते हैं।″

उन्होंने कहा, ″चालीसा एक रास्ता है जो हमें करुणा के विजय की ओर ले चलता है, अन्यथा हम नष्ट कर दिये गये होते अथवा ईश्वर की संतान होने की हमारी प्रतिष्ठा कम कर दी गयी होती।″ ख्रीस्तयाग के दौरान माथे पर राख की जो निशानी ग्रहण की जाती है वह हमें अपने उद्गम का स्मरण दिलाती है कि हम मिट्टी हैं, साथ ही साथ हमें यह भी याद दिलाती है कि ईश्वर ने हम प्रत्येक पर अपनी प्राणवायु फूँक दी है। उन्होंने कहा, ″ईश्वर के जीवन की प्राणवायु हमें विश्वास में निरुत्साह हो जाने, उदारता में ठंढा पड़ने एवं आशा को दबाने के कारण, दम घुटने से बचाता है।

संत पापा ने चालीसा काल में आवश्यक बातों पर ध्यान देने की सलाह देते हुए कहा, ″चालीसा काल ‘नहीं’ कहने का उपयुक्त समय है: आध्यात्मिक निरुत्साह को जो उदासीनता से उत्पन्न होता है, खोखले एवं निरर्थक शब्दों के विषाक्त प्रदूषण को, उस प्रार्थना को जो हमारी अंतरात्मा को शिथिल कर देती है, दान जो हमें आत्म-संतुष्टि प्रदान करती, उपवास जो हमें अच्छा अनुभव दिलाती तथा हर प्रकार के बहिष्कार को, न कहने का समय है।     

उन्होंने कहा किन्तु चालीसा काल चिंतन करने एवं अपने आपसे यह पूछने का भी समय है कि मुझ पर क्या बीतता यदि ईश्वर मेरे लिए अपने सभी दरवाज़ों को बंद कर देते। यह अवधि उस बात पर भी गौर करने का अवसर है कि क्या हम उन लोगों के बगैर अपनी यात्रा पर आगे चल सकते थे जिन्होंने इस यात्रा में हमारी मदद की है। 

आखिर में संत पापा ने कहा कि चालीसा काल पुनः सांस लेने की शुरूआत करने का समय है, हमारे हृदयों को खोलने की, उस वायु को हमारे अंदर प्रवेश करने देने की जो मिट्टी को इंसान में बदल सकता है। 








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