2017-03-01 10:09:00

प्रेरक मोतीः सन्त डेविड (लगभग 500 ई.-589 ई.)


वाटिकन सिटी, 01 मार्च सन् 2017:

सन्त डेविड वेल्स के संरक्षक सन्त हैं। एक दन्त कथा के अनुसार डेविड सेरेडिगियोन के राजघराने के सामन्त के पुत्र थे। लगभग 500 ई. में उनका जन्म हुआ था। डेविड के धर्माध्यक्ष के पुत्र राईसमार्च ने जो बातें सन्त डेविड के बारे में लिखी हैं वही आज उपलब्ध हैं। राईसमार्च के अनुसार जहाँ महात्मा डेविड का जन्म हुआ था उस स्थान को बेटुस रुबुस कार्डिगन स्थित हेनफ्यू कहते हैं।

राईसमार्च के अनुसार प्रभु की कृपा और अनुकम्पा में डेविड का लालन पालन हुआ था इसलिये बाल्यकाल से ही धर्म एवं आध्यात्म में डेविड की रुचि रही थी। सुन्दर एवं सुशील होने के साथ साथ डेविड ने उच्च शिक्षा भी प्राप्त की थी। सन्त पौलीनुस के अधीन शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करने के बाद डेविड पुरोहित अभिषिक्त हुए थे। अपने पुरोहिताभिषेक के बाद बहुत समय उन्होंने अपने गुरु सन्त पौलीनुस के साथ एकान्त में व्यतीत किया। तदोपरान्त डेविड धर्मप्रचार में लग गये तथा इंगलैण्ड के कई क्षेत्रों में उन्होंने गिरजाघरों एवं कम से कम 12 मठों का निर्माण करवाया। बताया जाता है कि अपनी मिशनरी यात्राओं के दौरान डेविड ने प्रार्थना द्वारा चंगाई को प्रोत्साहन दिया। प्रार्थना द्वारा उन्होंने रोगियों को रोगमुक्त किया, नेत्रहीनों को दृष्टि दिलाई तथा एक बार विषाक्त जल से भरे जल स्रोत को शुद्ध करने में भी सफल हुए।

डेविड द्वारा स्थापित मठों की जीवनचर्या घोर तपस्या और प्रायश्चित से परिपूर्ण थी। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण दक्षिण पश्चिमी वेल्स स्थित मेनेविया में स्थापित मठ था। डेविड तथा उनके मठवासी कठिन शारीरिक श्रम और गहन अध्ययन करते थे। अनावश्यक वार्तालात निषिद्ध था तथा दिन का अधिकाधिक समय ईश्वर पर मनन चिन्तन एवं बाईबिल पाठ में व्यतीत होता था। मठवासी अति साधारण भोजन किया करते थे तथा शराब का सेवन नहीं करते थे। सन् 550 ई. में डेविड ने कार्डिगनशायर में ब्रेवी की धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में भाग लिया। उनका योगदान इतना महत्वपूर्ण था कि उन्हें केमब्रियन चर्च का धर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। बताया जाता है कि धर्माध्यक्ष रूप में जब वे पवित्रभूमि की तीर्थयात्रा पर गये थे तब जैरूसालेम के प्राधिधर्माध्यक्ष ने उन्हें महाधर्माध्यक्ष अभिषिक्त कर दिया था।

ब्रिटेन में उस समय पेलाजियन अपधर्मियों का बोलबाला था। इनके मिथ्याप्रचार को रुकवाने के लिये महाधर्माध्यक्ष डेविड ने एक धर्मसभा बुलाई तथा अपधर्मियों को फटकार बताई। बताया जाता है कि महाधर्माध्यक्ष डेविड का प्रवचन इतना ओजपूर्ण रहा कि अपधर्मियों को कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला। सन् 589 ई. में महाधर्माध्यक्ष डेविड का निधन मेनेविया स्थित उनके मठ में हो गया था। 1120 ई. में सन्त पापा कलिस्तुस द्वितीय ने उनकी भक्ति को अनुमोदन दिया था। वेल्स के संरक्षक सन्त डेविड का पर्व 01 मार्च को मनाया जाता है। 

चिन्तनः प्रभु ख्रीस्त में अपने विश्वास को सुदृढ़ करने के लिये हम सतत् प्रार्थना करें जिससे भ्रामक एवं मिथ्या विचारधाराओं के चँगुल में न फँसे।








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