2017-03-01 14:11:00

चालीसा येसु के पास्का में प्रवेश की तैयारी


वाटिकन सिटी, बुधवार, 01 मार्च 2017 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस के प्राँगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात

आज राख बुध के साथ हम कलीसिया की पूजन विधि चालीसा काल में प्रवेश करते हैं। अतः आज की धर्मशिक्षा माला के दौरान चालीसा की यात्रा को हम आशा की यात्रा के रुप में देखने का प्रयास करेंगे।

वास्तव में यह माता कलीसिया के द्वारा निर्धारित वह अवधि है जो हमें येसु के पास्का रहस्य में सहभागी होने हेतु तैयार करती है। पुनर्जीवित येसु हमें अंधकार से बाहर निकलने का निमंत्रण देते जहाँ हम अपने को उनकी ज्योति के मार्ग में व्यवस्थित करते हैं। चालीसा काल हमारे लिए उपवास और परहेज का समय है जो अपने में एक अंत नहीं वरन यह हमें अपने बपतिस्मा के द्वारा येसु में पिता के प्रेम से पुनः संयुक्त करता है। यही कारण है कि चालीसा अपनी प्रकृति में आशा का एक समय है।

इसे और अच्छी तरह से समझने हेतु हमें इस्रराएलियों के जीवन की उस मूल-भूत घटना को देखने की जरूरत है जिसका जिक्र धर्मग्रंथ बाईबल का निर्गमन ग्रंथ हमारे लिए करता है। इसकी शुरूआत मिस्र देश की गुलामी, अत्याचार और बलात कार्य से होती है। इस परिस्थिति में ईश्वर अपने लोगों और अपनी प्रतिज्ञा को नहीं भूलते हैं। वे नबी मूसा का चुनाव करते और अपने लोगों को मिस्र देश की गुलामी से मुक्त करने और उन्हें स्वतंत्र भूमि में ले चलने को भेजते हैं। दासता से स्वतंत्रता की इस यात्रा में याहवे इस्रराएलियों को अपने संहिता प्रदान करते हुए अपने को एकमात्र ईश्वर के रूप में और एक दूसरे को अपने भाई-बहनों के रुप में प्रेम करने की शिक्षा देते हैं। धर्मग्रंथ हमें निर्गमन ग्रंथ की थकान और कठिनाई की चर्चा करता जो संकेतित रुप में चालीस वर्षों, एक पीढ़ी के जीवन काल के रुप में व्यक्त किया गया है। चुनी हुई प्रजा अपने में विलाप करती और मिस्र देश लौटने की चाह रखती है। संत पापा ने कहा कि हम भी अपने जीवन में परीक्षाओं में पड़ जाते और पुराने जीवन में वापस लौटने की सोचते हैं। लेकिन याहवे अपने लोगों के प्रति निष्ठावान बने रहते और मूसा की अगवाई में उन्हें प्रतिज्ञात देश ले चलते हैं। इस तरह यात्रा आशा में पूरी की जाती है जहाँ चुनी हुई प्रजा गुलामी से प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करती है। यह चालीस दिन हमारे जीवन में पापों की दासता, स्वतंत्रता और पुनर्जीवित येसु से मिलन की बात कहता है। हमारे हर कदम, हर प्रयास, परीक्षा और असफलता ईश्वर की योजना में अर्थपूर्ण होते हैं जो हमें मृत्यु से बचाते हुए जीवन की ओर, गम के बदले खुशी में ले चलना चाहते हैं।   

येसु का पास्का उनका निर्गमन है जिसके द्वारा वे हमारे लिए अनंत जीवन और खुशी का द्वार खो दिया है। इस मार्ग को खोलने हेतु येसु को अपनी महिमा की तितांजलि देनी पड़ी और उन्होंने अपने को नम्र तथा क्रूस मरण तक आज्ञाकारी बना लिया। हमें अनंत जीवन प्रदान करने हेतु उन्हें अपने खून के आखिरी बूंद को भी बहना पड़ा। हम उनका धन्यवाद करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें पाप की गुलामी से बचा लिया है। संत पापा ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने हमारे लिए सब कुछ कर दिया और हमें स्वर्ग जाने हेतु कुछ करने की जरूरत नहीं है, ऐसा नहीं है। हमारी मुक्ति हमारे लिए उनका उपहार है जो एक प्रेम कहानी है जो हमारी ओर से प्रतिउत्तर “हाँ” की माँग करता है जिसके द्वारा हम माता मरियम और उनके बाद सभी संतों की भांति उस प्रेम के अंग बनते हैं।

चालीसा हमारे जीवन का आयाम है जहाँ हम येसु के निर्गमन में उनके साथ चलने हेतु बुलाये जाते हैं। उन्होंने हमारे लिए जीवन की सारी परीक्षाओं पर विजयी पाई अतः हमें अपने जीवन में परीक्षाओं पर विजय प्राप्त करनी है। उन्होंने हमारे लिए जीवन जल और पवित्र आत्मा प्रदान किया है और वे हम से चाहते हैं कि हम संस्कारों, प्रार्थना और पूजन विधि के द्वारा उस जीवन जल और पवित्र आत्मा से सदैव संयुक्त रहें। वे जीवन की ज्योति हैं जो अंधकार को हमसे दूर करते हैं। वे हमें अपनी ज्योति की छोटी चिंनगारी बनने को कहते हैं जिसे हमने अपने बप्तिस्मा संस्कार में पाया है।

संत पापा ने कहा कि इस संदर्भ में चालीसा काल “हमारे परिवर्तन की सांस्कारिक निशानी” है, जो चालीसा काल का अनुसरण करता वह सदैव अपने जीवन में परिवर्तन के मार्ग पर चलता है जो हमें पापों की गुलामी से मुक्ति दिलाती है। यह मार्ग हमारे लिए कठिन लगता है क्योंकि यह प्रेम का मार्ग है यद्यपि यह मार्ग आशा से भरा है। चालीसा का निर्गमन आशा से परिपूर्ण है जहाँ हमें जीवन के मरुस्थल से पाना होना है। माता मरिया जो अपने बेटे येसु ख्रीस्त के दुःखभोग और मृत्यु की अंधकार स्थिति में पुनरुत्थान और ईश्वर की विजय पर विश्वास और आशा में बनी रही हमें भी चालीसा काल में प्रवेश करने हेतु मदद करे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्म शिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया और चालीसा काल की शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। 








All the contents on this site are copyrighted ©.