2017-02-25 15:39:00

समाज जो बहिष्कृत करता, वह मानव जाति के अनुकूल नहीं


वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 25 फरवरी को वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में, कापोदारको समुदाय के कुल 2600 सदस्यों से मुलाकात की जिन्होंने गत वर्ष अपने समुदाय की स्वर्ण जयन्ती मनायी।

कापोदारको समुदाय रोम में एक ऐसा समुदाय है जो शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की मदद करता है। उनका मुख्य उद्देश्य है समाज के अक्षम लोगों को सशक्त करना।

संत पापा ने इन पचास सालों में उनकी सेवा हेतु धन्यवाद देते हुए कहा, ″आपके साथ मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने अक्षम लोगों, बच्चों एवं स्वास्थ्य केंद्रों तथा अपने परिवारों में दूसरों पर आश्रित रहने वाले लोगों की सेवा पचास सालों तक की है। आपने उन लोगों के बगल में होने का निश्चय किया है जो कम सुरक्षित हैं तथा जिन्हें सेवा, समर्थन और आशा प्रदान किये जाने की आवश्यकता है। इस तरह आपने बेहतर समाज के निर्माण हेतु अपना सहयोग दिया है।″

संत पापा ने अपने सम्बोधन में इस बात पर गौर किया कि कई बार समाज में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है तथा उनके साथ भी सामान्य लोगों के सामान व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें भी समाज में अवसर दिया जाना चाहिए ताकि वे अपनी क्षमताओं द्वारा समाज को योगदान दे सकेंगे। कमजोर लोगों के अधिकारों को पहचानने के द्वारा ही एक कम्पनी को कानून और न्याय पर स्थापित माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो समाज सिर्फ उन लोगों को स्थान देता है जो पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं, वह मानव के योग्य समाज नहीं है। शारीरिक दक्षता के आधार पर किया गया भेदभाव जाति, धर्म और योग्यता के आधार पर किये गये भेदभाव से कम दुखद नहीं है।

संत पापा ने कापोदारको समुदाय के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनका समुदाय उन लोगों की मदद करने के प्रयास में है जो बहिष्कृत एवं हाशिये पर जीवन यापन करने की स्थिति महसूस करते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिष्ठा एवं सम्मान को बढ़ावा देने हुए सभी सृष्ट जीवों के प्रेमी पिता, ईश्वर की कोमलता का एहसास कराते हैं।  

संत पापा ने उनके कार्यों के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि उनका कार्य समाज और कलीसिया के लिए अमूल्य है। उन्होंने माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि वे उन्हें नई ऊर्जा प्रदान करें ताकि सुसमाचार के संदेश, कोमलता, दयालुता, सामीप्य तथा त्याग की भावना को वे बरकरार रख सकें क्योंकि समाज में तकलीफ की स्थिति से गुजर रहे लोगों के साथ कार्य करना आसान नहीं है। संत पापा ने सभी सदस्यों को आनन्द एवं आशा के साथ अपने कार्यों को जारी रखने की सलाह दी।








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