2017-02-24 15:57:00

पानी व्यवस्थान हेतु बेहतर नीति निर्धारण पर जोरः वाटिकन संगोष्ठी


वाटिकन रेडियो, 24 फरवरी 2017 (वी आर) शिक्षण और विज्ञान संबंधित गठित परमधर्मपीठीय समिति ने पानी पर दो दिवसीय संगोष्ठी के दौरान इस बात पर बल दिया कि इसकी उचित व्यवस्था हेतु बेहतर नीति निर्धारण की जरूरत है।

"पानी का मानव अधिकार: पानी और स्वच्छता प्रबंधन में सार्वजनिक नीतियों की केंद्रीय भूमिका" की विषयवस्तु से वाकिटन में आयोजित संगोष्ठी में हुए विचार मंथनों का जिक्र करते हुए संगोष्ठी के एक प्रतिभागी पीटर होजेस ने जल प्रबंधन और इसके द्वारा देश में शांति व्यवस्था के बारे में अपने विचार व्यक्त किया।

 अमाजोन प्रान्त के आलावे पेरू और इंडीज प्रान्त में अपनी प्रेरितिक सेवा दे रहे पुरोहित पीटर ने कहा,“ हम इस बात से भली भाँति अवगत हैं कि अमाजोन प्रान्त का जन-जीवन खतरे में पड़ गया है। आदिवासी समुदायों की जमीन हड़प ली गई है जिसका दोहन खनन और तेल हेतु विभिन्न कम्पनियाँ के द्वारा किया जा रहा है।”

उन्होंने ने कहा कि अमाजोन प्रान्त में जंगलों की अंधाधुंध कटाई का दुष्परिणाम विश्व की जलवायु में पड़ रहा है। “विश्व को 5 प्रतिशत जल की आपूर्ति अमाजोन प्रान्त से होती है और यह सच है अमाजोन का 20 प्रतिशत प्रान्त नष्ट कर दिया गया है। अतः हमारे समक्ष यह प्रश्न उठता है क्या हम राजनीतिक रूप से अमाजोन प्रान्त में बढ़ रहे विनाश को रोक सकते हैं? उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो इसका परिणाम विश्व के लिए भंयकर होगा।

वाटिकन में पानी पर हुए संगोष्ठी के बारे में उन्होंने कहा कि हम सभी इस बात से अवगत हैं कि हमारा जीवन जल पर आधारित है। विश्व में पानी की स्थिति विकट हो गई है जिसके कारण असंख्य लोग अपने जीवन में पानी के अधिकार से वंचित हैं।

उन्होंने कहा कि इसके कई कारण हैं जिसमें एक प्रमुख कारण यह है कि पानी बाजार मूल्य में तब्दील हो गया है। पानी का बाजारीकरण हमें जल के मूलभूत अधिकार से वंचित करता है। उन्होंने कहा कि इसके कारण लोगों और देशों के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पड़ोसी देश जो शांति और आपसी समझौते में रहा करते थे पानी की कमी के कारण आज एक दूसरे के शत्रु बन गये हैं।








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