2017-02-21 12:10:00

मानव तस्करी एक महामारी, वाटिकन अधिकारी


जिनिवा, मंगलवार, 21 फरवरी 2017 (सेदोक): जिनिवा में मानवतावादी एवं सुरक्षा सम्बन्धी 22 वें अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में सदस्य राष्टों को सम्बोधित कर वाटिकन के वरिष्ठ अधिकारी महाधर्माध्यक्ष इवान यूरकोविट्स ने कहा कि मानव तस्करी एक महामारी है जिसकी रोकथाम के लिये हर सम्भव प्रयास आवश्यक है।

जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय एवं अन्य अन्तरराष्ट्रीय कार्यालयों में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष इवान यूरकोविट्स ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि मानव तस्करी का सर्वाधिक दुष्प्रभाव महिलाओं, किशोरियों एवं बच्चों पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में, कार्यस्थलों पर एवं परिवारों में महिलाओं एवं किशोरियों के विरुद्ध भेदभाव से मानव तस्करी को प्रोत्साहन मिलता है।

महाधर्माध्यक्ष यूरकोविट्स ने कहा कि मानव तस्करी विश्वव्यापी व्यापार बन गया है और इससे पीड़ित लोग निजी घरों, अवैध संस्थानों, फेक्टरियों तथा खेतों में, बन्द दरवाज़ों के पीछे, काम करने के लिये मजबूर किये जाते हैं।

अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मानव तस्करी के अभिशाप को समाप्त करने के लिये, उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सन् 2000 में मानव तस्करी के विरुद्ध सम्पादित संधि में निहित विधानों के पालन को सभी राष्ट्रों द्वारा सुनिश्चित्त किया जाना नितान्त आवश्यक है। इस संधि को 170 राष्ट्रों का अनुसमर्थन मिल चुका है। संधि बच्चों की तस्करी एवं उनके किसी भी प्रकार के शोषण पर निषेध लगाती है। साथ ही नस्ल जाति एवं लिंग की वजह से हर प्रकार के भेदभाव एवं शोषण को अवैध एवं दण्डनीय घोषित करती है।

वाटिकन की ओर से मानव तस्करी को कम करने हेतु किये गये उपायों का बयौरा देते हुए  महाधर्माध्यक्ष यूरकोविट्स ने बताया कि परमधर्मपीठ ने संगठित अपराध, बाल श्रम, वेश्यावृत्ति, यौन शोषण, बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्तरराष्ट्रीय संघों द्वारा प्रस्तावित संधियों पर हस्ताक्षर किये हैं तथा इन अभिशापों के विरुद्ध प्रयास करने के लिये वह कृतसंकल्प है। इस दिशा में, उन्होंने कहा, "विश्वव्यापी स्तर पर काथलिक कलीसिया अपनी संस्थाओं द्वारा मानव तस्करी की रोकथाम तथा शोषितों के पुनर्वास हेतु हर सम्भव सहायता प्रदान कर रही है।








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