2017-02-14 15:30:00

ओडिशा में लूर्द की मरियम के तीर्थालय का शतवर्षीय समारोह


बेरहामपूर, मंगलवार, 14 फरवरी 2017 (एशियान्यूज) : ओडिशा स्थित डांटोलिंगी में लूर्द की माता मरियम तीर्थालय के शतवर्षीय समारोह में करीब 200,000 काथलिकों और गैर-काथलिकों ने भाग लिया।

यह तीर्थालय देश में अन्य प्रसिद्ध तीर्थलयों में से एक है, जहाँ हजारों लोग माता के दर्शन करने आते हैं। इसका निर्माण सन् 1917 में फ्रेंच मिशनरियों द्वारा किया गया था जिन्होंने अकाल और महामारी से प्रभावित लोगों की सेवा करने हेतु भारत की यात्रा की थी।

माता मरिया की मध्यस्ता से बीमारियों से बचने के बाद लोगों ने मिशनरियों से माता मरिया का मंदिर बनाने का आग्रह किया जिससे वे उनके द्वारा प्राप्त चंगाई के लिए धन्यवाद दे सकें।

उत्सव के आयोजक फादर विमल ने एशिया न्यूज से कहा कि लोग आज भी शारीरिक और मानसिक बीमारी से चंगे होते हैं। उनका विश्वास बहुत मजबूत है।

विश्व रोगी दिवस के अवसर पर इस तीर्थालय  के प्रांगण में कटक-भुनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष जोन बारवा ने 5 धर्माध्यक्षों, 200 पुरोहितों, 300 धर्मबहनों और 200,000 लोगों की उपस्थिति में ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया। 

  महाधर्माध्यक्ष ने विश्वासियों से कहा, ″माता मरिया हम पापियों की शरण और हमारी खुशी का कारण हैं। उनके माध्यम से ईश्वर की कृपा और प्रचुर मात्रा में आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हम सभी यहाँ उपस्थित हुए हैं।"

काथलिकों के साथ साथ अनेक गैर–काथलिकों ने इस समारोह में भाग लिया। समारोह में उपस्थित हिन्दू दम्पति प्रताप साहू और प्रीति ने बताया कि उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए लूर्द की माता मरिया से मन्नत माँगी थी और उनकी मन्नत पूरी हुई अतः वे प्रतिवर्ष माता के त्योहार के दिन हर साल श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं।"

सन् 1866 में ओडिशा में भयानक अकाल पड़ा, साथ ही वहाँ हैजा और चेचक की महामारी के कारण वहाँ के लोगों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई थी। वहाँ की आधी आबादी काल के गाल में चली गई थी।

ऐसी भयानक परिस्थिति में, आन्नेसी के संत फ्राँसिस डी सेल्स के मिशनरियों ने आकर लोगों की सेवा की। सुरादा में एक अनाथालय का निर्माण कर, वहाँ अनाथ और रास्ते में अकेले पड़े लोगों को जमा किया और उनकी देख-रेख करना शुरु किया।

हैजा और चेचक के बीमारी डांटोलिंगी में केंद्रित थे लेकिन धीरे-धीरे वे इस महामारी के प्रकोप से बाहर निकले। उन्हें माता मरियम की मध्यस्ता से चंगाई मिली। अतः उन्होंने मिशनरियों से माता मरिया को धन्यवाद देने हेतु तीर्थालय बनाने का आग्रह किया था।

 स्थानीय पल्लीपुरोहित फादर बीरो ने कहा कि तीर्थालय के इर्दगिर्द 250 परिवार रहते हैं और उनकी संख्या बढ़ती जा रही है।

डांटोलिंगी के मूल निवासी तथा रायगाडा के धर्माध्यक्ष अप्लीनार सेनापति ने कहा,"हमें खुशी है कि ये सभी परिवार एक दूसरे के साथ प्रेम शांति और एकता में आगे बढ़ रहे हैं।"








All the contents on this site are copyrighted ©.