2017-02-11 15:07:00

नारी नेतृत्व विश्व को अधिक सुरक्षित स्थल बना सकता है: दलाई लामा


अमरावती, शनिवार, 11 फरवरी 2017 (मैटर्स इंडिया): तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने शुक्रवार को कहा कि 21वीं सदी को एक शांतिमय सदी बनाने हेतु महिलाओं की एक विशेष भूमिका है क्योंकि शारीरिक रूप से वे पुरूषों की तुलना में अधिक करुणामय हैं। 

अमरावती में राष्ट्रीय महिला संसद को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को चाहिए कि वे दया एवं प्रेम जैसे मूल मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने में अधिक सक्रिय भाग लें।

उन्होंने कहा कि यद्यपि पुरुष और महिला समान मानव प्राणी हैं किन्तु दयालुता की बात आती है तो महिला में यह गुण अधिक पाया जाता है। ″वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाएँ दूसरों के दुःखों में अधिक संवेदनशील होती हैं।″  

बौद्ध धर्मगुरू का विश्वास है कि यदि सभी देशों में नेतृत्व का भार महिलाएँ संभालतीं तो दुनिया एक अधिक सुरक्षित स्थल बन सकता था। 

उन्होंने कहा, ″विश्व में अधिकतर सैनिक पुरुष ही हैं। कुछ अपवाद हो सकता है लेकिन आमतौर पर पुरुष ही सब मुसीबतों को उत्पन्न करते हैं।

दलाई लामा ने महिलाओं से अपील की कि वे आत्मविश्वास को विकसित करें और जीवन के सभी क्षेत्रों में दृढ़ संकल्प के साथ कड़ी मेहनत करें।

आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में त्रुटि पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह मानव मूल्यों की अपेक्षा अधिक धन उन्मुख है। ″यह उत्साही और दयालु मानवता के उत्पादन हेतु पर्याप्त नहीं है। यदि यह जारी रहा तो 21वीं सदी भी पहले की तरह हिंसा तथा भेदभाव से भर जायेगा।″  

आध्यात्मिक नेता ने कहा कि यह एक वास्तविक उम्मीद है क्योंकि वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान दिखाता है कि बुनियादी मानव स्वभाव करुणा है। आंतरिक शांति पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि उसके बिना विश्व, सच्ची बाह्य शांति प्राप्त नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि इस शताब्दी को वार्ता, दयालुता एवं लोगों के अधिकारों तथा रूचि के प्रति सम्मान की सदी होनी चाहिए।

उनका कहना था कि वास्तविक निरस्त्रीकरण केवल तभी संभव हो सकता है जब मन और भावनाओं में निरस्त्रीकरण हो। एक नारी ही इस बात को साकार कर सकती है इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि माँ ही प्रथम शिक्षिका है जो करुणा एवं प्रेम का पाठ पढ़ाती है।  








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