2017-02-09 16:08:00

शिक्षा और सभी के प्रति सम्मान द्वारा अपमान के तत्वों से संघर्ष करें, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 9 फरवरी 17 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 9 फरवरी को वाटिकन के प्रेरितिक प्रासाद में, यहूदी लोगों के अपमान को रोकने तथा सभी के लिए न्याय और उचित व्यवहार सुनिश्चित करने हेतु गठित ‘अंटी डीफेमेशन लीग’ के प्रतिनिधियों से मुलाकात की तथा काथलिक कलीसिया के साथ संवाद में उनके सहयोग के लिए कृतज्ञता व्यक्त की।

संत पापा ने कहा कि मुलाकात द्वारा उन्होंने मेल-मिलाप के मजबूत ताकत के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है जो संबंध को चंगा करता एवं बदल डालता है। अतः इसके लिए उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया जो यहूदियों एवं काथलिकों के लिए आज प्रेरणा का स्रोत है। 

उन्होंने प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर कहा, ″जहाँ मुलाकात एवं मेल-मिलाप की संस्कृति जीवन को सजीव बनाती तथा आशा को बढ़ाती है वहीं घृणा की कुसंस्कृति मृत्यु बोती तथा निराशा लुनती है।″ संत पापा ने पोलैंड के औवस्विच बारकेनाव नजरबंद शिविर का स्मरण किया जहां यहूदियों को बेरहमी से मार डाला गया था उन्होंने कहा कि वहाँ जो क्रूरता और पाप हुए हैं उसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। बस यही प्रार्थना है कि इस तरह की दुखद घटना फिर कभी न हो। उन्होंने एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हुए आगे बढ़ने की इच्छा व्यक्त की तथा भविष्य में सभी मानव जाति एवं जीवन के लिए सच्चे सम्मान और प्रतिष्ठा की कामना की।

संत पापा ने ‘सेमेटिक विरोधी’ भावना के फैलने पर दुःख व्यक्त करते हुए उसे दूर करने हेतु काथलिक कलीसिया द्वारा यहूदियों के साथ पूरा सहयोग करने का वचन दुहराया।

उन्होंने ‘अंटी डीफेमेशन लीग’के प्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया जो शिक्षा, सभी के प्रति सम्मान एवं दुर्बलों की सुरक्षा द्वारा मान हानि की समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी मानव के लिए जीवन एक पवित्र उपहार है उसकी देखभाल करना, उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा करना तथा उसे मृत्यु से बचाना, हिंसा को दूर करने का सबसे उत्तम रास्ता है।

उन्होंने कहा कि विश्व भर में फैली हिंसा का सामना करते हुए हम महान अहिंसा के लिए बुलाये जाते हैं जो निष्क्रियता नहीं किन्तु अच्छाई का सक्रिय प्रोत्साहक है। 

उन्होंने प्रोत्साहन दिया कि वे प्रतिष्ठापूर्ण जीवन, संस्कृति तथा धार्मिक स्वतंत्रता को बढावा देने के कार्य में दृढ़ बने रहें। साथ ही साथ, हर प्रकार की हिंसा एवं शोषण से विश्वासियों की रक्षा करें। 








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