2017-02-06 16:03:00

ईश्वर की कृपा के प्रति खुला एवं उदार बनें, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 6 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): जो लोग कठोर हैं वे स्वतंत्रता से डरते हैं जिसे ईश्वर हमें प्रदान करते हैं। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 6 फरवरी को वाटिकन स्थिति संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

ख्रीस्तयाग प्रवचन में पाठ पर चिंतन करते हुए उन्होंने गौर किया कि एक ख्रीस्तीय, प्रेम का गुलाम है न कि कर्तव्य का। उन्होंने विश्वासियों से अपील की कि वे आज्ञाओं के प्रति अपनी कठोरता को न छिपायें।

संत पापा ने स्तोत्र ग्रंथ के 103 वें भजन को दुहराते हुए कहा, ″प्रभु तू महान है।″ उन्होंने कहा कि यह ईश्वर के अनोखे कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा है। पिता इस सृष्टि की सुन्दरता को बनाये रखने के लिए कार्य करते हैं तथा पुत्र द्वारा उसे पुनः नवीकृत कर रहे हैं। संत पापा ने उस घटना की याद की जब एक बालक ने उन्हें पूछा था कि दुनिया की सृष्टि करने के पूर्व ईश्वर ने क्या किया था जिसके उत्तर में उन्होंने कहा था कि ‘प्यार किया था’। 

संत पापा ने कहा, ″उन्होंने क्यों दुनिया की सृष्टि की? जिसका उत्तर स्वयं देते हुए कहा कि अपनी पूर्णता को बांटने के लिए ही उन्होंने दुनिया की सृष्टि की तथा सृष्टि के नवीनीकरण हेतु उन्होंने अपने पुत्र को भेजा।″

संत पापा ने सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि जब येसु कहते हैं कि पिता निरंतर कार्य कर रहे हैं तब संहिता के पंडितों के लिए यह एक ठोकर शिक्षा थी जिसके कारण वे उन्हें मार डालना चाहते थे क्योंकि वे ईश्वर के वरदान को स्वीकार नहीं कर सके। उन्होंने अपनी कठोरता के कारण संहिता का सहारा लेकर अपने को छिपाने का प्रयास किया। उन्होंने ईश्वर के उपहार को नहीं स्वीकारा जिसे स्वतंत्र होकर ही स्वीकार किया जा सकता है।  

संत पापा ने ईश्वर के दो अनूठे कार्यों को प्रकट किया, सृष्टि का अनोखापन तथा मुक्ति का अनोखापन, जिसे नवीनीकरण भी कहा जाता है। ईश्वर ने इन्हें हमें प्रदान किया है, पर हम इसे किस तरह स्वीकार करते हैं? क्या हम इसे वरदान के रूप में स्वीकारते हैं? क्या हम सृष्टि से प्रेम करते तथा उसकी रक्षा करते हैं।  

ईश्वर ने हमें मुक्ति एवं क्षमा प्रदान की है, प्रेम, दुलार एवं स्वतंत्रता से अपने पुत्र के साथ हमें पुत्र बनाया है जबकि हम बंद संहिता की कठोरता में अपने को छिपाने का प्रयास करते हैं यह हमारे लिए सुरक्षित स्थान जैसा लगता है किन्तु आनन्द प्रदान नहीं करता क्योंकि यह हमें स्वतंत्र नहीं करता है। संत पापा ने प्रार्थना की ताकि हम सृष्टि से पहले हमारे प्रति ईश्वर के प्रेम को समझ सकें। 








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