2017-02-03 16:27:00

“परीक्षा” जीवन को बंजर बना देती है


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 3 फरवरी 2017 (सेदोक) संत पापा फ्रांसिस ने गुरुवार को संत पेत्रुस के महागिरजाघर में येसु के मंदिर में समर्पण पर्व के अवसर पर समर्पित जीवन संस्थान के सदस्यों और प्रेरितिक धर्मसंस्थाओं के सदस्यों हेतु युख्रारिस्त बलिदान अर्पित किया।

मिस्सा पूजा के दौरान विश्व समर्पित जीवन की याद करते हुए उन्होंने कलीसिया में ईश्वर के लिए समर्पित लोगों के हेतु अपनी प्रार्थनाएं अर्पित कीं।

येसु का मंदिर में समर्पण महोत्सव मोमबत्ती मिस्सा के नाम से भी प्रचलित है अतः धर्मविधि की शुरूआत मोमबत्तियों की आशीष के उपरान्त शोभायात्रा के द्वारा शुरू की गई। जलती हुई मोमबत्ती की आशीष येसु के जीवन का प्रतीक है जो ज्योति बनकर दुनिया में आये जो सभी समर्पित लोगों को अन्यों के लिए ज्योति बनने का आहृवान देता हैं।

धर्मविधि के दौरान संत पापा ने अपने प्रवचन में “आशा के गीत” जो सिमेयोन और अन्ना के द्वारा येसु से मिलन पर घोषित किये गये पर अपना चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा, “हमें भी अपने बुज़ुर्गों के आशा के गीत को धारण करने की जरूरत है...और हम ऐसा तब कर पायेंगे जब हम अपने जीवन में उस सच्चे व्यक्तित्व से मुलाकात करेंगे जो हमारे हृदयों को प्रज्वलित करते हैं।”

उन्होंने विश्वासी समुदाय को आगाह करते हुए कहा कि हमारे जीवन में एक “परीक्षा” आती है जो जीवन को बंजर बना देती है। यह परीक्षा हमारे “अस्तित्व की परीक्षा” है जो हमारे जीवन को, हमारे स्वपनों को दांव में लगते हुए अपने को सुरक्षित रखने हेतु प्रेरित करता है। हमारे जीवन में अस्तित्व की इस परीक्षा के कारण हमें ईश्वर से मिले “कृपाओं को भूल” जाते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने समर्पित लोगों के याद दिलाते हुए कहा कि वे अपने को येसु के साथ संलग्न करते हुए उन्हें “लोगों के मध्य ले जाने हेतु बुलाये गये हैं।” उन्होंने अपने प्रवचन के अंत में कहा, “आइए हम येसु के साथ लोगों से मिलने हेतु चलें, जिनके बीच येसु जाते हैं।”  

इस वर्ष का विश्व समर्पित दिन अपने में एक खास महत्व का है क्योंकि यह आने वाले वर्ष 2018 के धर्माध्यक्षीय सभा हेतु एक आधारभूत शिला तैयार करती है जिसकी विषयवस्तु “युवा, विश्वास और आत्म निरीक्षण है।”








All the contents on this site are copyrighted ©.