एशिया शुक्रवार, 3 फरवरी 2017 (ऊकान न्युज) एशियाई प्रांत के येसु समाजी सम्मेलन ने अपनी एक पुस्तक के जरिये इस बात पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है कि उन बच्चों की स्थिति कैसी होती है जो कार्य की तलाश में अपने प्रवासी माता-पिता द्वारा छोड़ दिये जाते हैं।
एशियाई प्रांत के येसु समाजी सम्मेलन के सचिव और सामाजिक प्रेरिताई कार्य तथा पुस्तिका
के संपादक पुरोहित बेनी हरी जुलियन ने कहा कि प्रवासी एशियाई देशों की एक बड़ी राजनीतिक,
आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समस्या है। फिलीपिन्स, वियतनाम, इन्डोनेशिया विश्व के
उन 25 बृहद देशों में से हैं जो प्रवास हेतु लोगों की व्यवस्था करते हैं जबकि हाँगकाँग,
सिंगापुर, अस्ट्रेलिया और न्यजीलैण्ड विश्व के उन 25 बड़े देशों में से हैं जहाँ प्रवासी
दरों की संख्या सबसे अधिक है।
येसु सामाजी बेनी ने कहा कि प्रवास के कारण अन्तराष्ट्रीय परिवार के विचारों की उत्पत्ति
हुई है जिसके तहत माता-पिता और बच्चों के बीच का संबंध राष्ट्रीय सीमंतों पर व्यवस्थित
किया जाता है। संकलित लेखों के बारे में उन्होंने कहा कि छोड़ दिये गये बच्चों और परिवार
पर लिखित पाँच लेखों में एशियाई प्रान्तों में परिवार के बदले स्वरुप, उनके द्वारा चुनौतियों
का सामना और प्रवासी परिवारों के प्रति सरकार की शिथिलता का वर्णन किया गया है।
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