वाटिकन रेडियो, बुधवार, कलीसिया की अदालत द्वारा काथलिक जोड़ी की शादी का विलोपन किसी भी सामाजिक कानून का उल्लंघन नहीं करता है 1 फरवरी 2017 (वीओर सेदोक) : भारत की काथलिक कलीसिया ने 30 जनवरी को कलीसियाई अदालत द्वारा काथलिक जोड़ी की शादी के विलोपन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध माने जाने पर समर्थन दिया है।
भोपाल मेषपालीय केंद्र में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कोई विरोधाभास नहीं है वे उनके आदेश को पहले से ही पालन करते आ रहे हैं।
कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस ने स्पस्ट करते हुए कहा कि कलीसिया की अदालत द्वारा काथलिक जोड़ी की शादी का विलोपन किसी भी सामाजिक कानून का उल्लंघन नहीं करता है और इसलिए, कोई अपराध नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 जनवरी को आदेश जारी किया कि वह कलीसियाई अदालत द्वारा ख्रीस्तीय व्यक्तिगत कानून के मुताबिक काथलिक जोड़ी की शादी के विलोपन को अवैध मानती है कलीसियाई अदालत एक जनहित याचिका को खारिज करने के क्रम में देश के कानून की अवहेलना नहीं कर सकती है।
कार्डिनल ग्रेसियस के साथ भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के उपाध्यक्ष धर्माध्यक्ष फिलिप नेरी फेर्राव, सीसीबीआई के महासचिव धर्माध्यक्ष वर्गीस चक्कालाकाल,भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लेओ कोरनेलियो और सीसीबीआई के उपसचिव फादर स्टीफन अलतारा ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हो रहे धर्माध्यक्षों की 29वीं आम सभा पर प्रकाश डालते हुए मीडिया को संबोधित किया।
आम सभा 31 जनवरी को शुरु हुई और 8 फरवरी को समाप्त होगी। आम सभा में 132 धर्मप्रांतों के 182 धर्माध्यक्ष भाग से रहे हैं। आम सभा में सीसीबीआई की अगुवाई हेतु नये सदस्यों का चुनाव किया जाएगा।
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