2017-01-24 15:58:00

ईश्वर हमें वैसे ही पसंद करते हैं जैसे हम हैं, संत पापा


वाटिकन सिटी, मंगलवार 24 जनवरी 2017 (सेदोक) : ईश्वर की इच्छा को पूरी करने का अर्थ यह नहीं है हम उनके साथ वार्ता या गुस्सा नहीं कर सकते हैं। पर यह जरुरी है कि हम ईश्वर के सामने नकली नहीं अपितु असली हों। ईश्वर हमें वैसे ही पसंद करते हैं जैसे हम हैं। उक्त बातें संत पापा ने मंगलवार को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन यूखरीस्तीय समारोह के दौरान अपने प्रवचन में कही।

संत पापा ने इब्रानियों के नाम पत्र से लिए गये दैनिक पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि येसु जब इस दुनिया में आये तो उन्होंने अपने स्वर्गीय पिता से कहा, ″आपको पापों की क्षमा के लिए पशुओं का बलिदान या होम बलि पसंद नहीं, अतः आपकी इच्छा पूरी करने के लिए मैं उपस्थित हूँ।″ येसु के ये शब्द ‘मैं उपस्थित हूँ’ मुक्ति इतिहास के ‘मैं उपस्थित हूँ’ से संबंधित है। आदम ने पाप करने के बाद अपने आप को ईश्वर की नज़रों से छिपा दिया। ईश्वर ने उन लोगों की खोज की जिन्होंने ईश्वर के बुलावे को सुना और कहा ‘मैं तैयार हूँ, मैं उपस्थित हूँ’। ईश्वर ने अब्राहाम, मूसा, एलियाह, इसायस, येरेमियस, माता मरिया और येसु को बुलाया। येसु ने भी कहा, ‘मैं उपस्थित हूँ।’

संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमारे प्रति बहुत ही धैर्य रखते हैं। योब का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि योब शुरु में ईश्वर की बातों को नहीं समझते थे और वे उनका उत्तर सही ठंग से दे भी नहीं पाते थे। ईश्वर ने उसे बड़े धैर्य के साथ सुधारा जबतक कि योब ने कहा हे प्रभु आप सही हैं मैं आपके सामने उपस्थित हूँ। हम ख्रीस्तीयों का जीवन भी लगातार ईश्वर की इच्छा को पूरी करना है।

संत पापा ने कहा,″ आज का पाठ हमें व्यक्तिगत रुप से ईश्वर के सामने उपस्थित होने के लिए आमंत्रित करता है। मैं प्रभु के सामने आदम के समान अपने को छिपाता हूँ, या योनस नबी के समान ईश्वर से दूर जाना चाहता हूँ, या फरिसियों और शास्त्रियों के समान अच्छा बनने का दिखावा करता हूँ, या मैं उस पुरोहित और लेवी के समान घायल व्यक्ति को रास्ते में तड़पते देखते हुए बगल से गुजर जाता हूँ। आज प्रभु हमें आमंत्रित करते हैं कि हम अपनी अच्छाईयों और कमजोरियों के साथ उनके सामने उपस्थित हों और कहें, ″हे प्रभु मैं जैसे भी हूँ आपके सामने उपस्थित हूँ।″

 संत पापा ने उपस्थित विश्वासियों को पवित्र आत्मा से प्रभु के सामने सच्चे दिल और मन से उपस्थित होने की कृपा माँगने की प्रेरणा दी।








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