2017-01-23 16:01:00

येसु से हमारा मिलन दैनिक कार्यों में होता है


वाटिकन रेडियो, सोमवार, 22 जनवरी 2017 ( सेदोक) संत पापा  फ्राँसिस ने 22 जनवरी 2017 को अपने  रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाई एवं बहनो सुप्रभात

आज का सुसमाचार हमारे लिए येसु के प्रेरिताई कार्य की शुरूआत का जिक्र करता है। वे पर्वत पर बसे अपने घर नाजरेत को छोड़ते और कफरनाहूम में रहते हैं जो झील के किनारे विभिन्न जातियों से भरा एक महत्वपूर्ण केन्द्र है जो भूमध्यसागर के द्वारा मेसोपोटमिया के दूर-दूराज क्षेत्रों को जोड़ता है। येसु का यह चुनाव उनके सुसमाचार प्रचार को न केवल अपने लोगों तक सीमित रखता वरन् गलीलिया के नगर अन्य लोगों के बीच भी ले जाता है। गलीलिया का केन्द्रविन्दु येरुसलेम शहर है जिसकी भौगोलिक स्थिति का अकलना करने से हम यह पाते हैं कि यह धार्मिक रीति रिवाजों हेतु शुद्ध नहीं रह गया है क्योंकि वह गैर-ख्रीस्तियों से भर हुआ है जहाँ लोग एक दूसरों से संबंध स्थापित करते जो कि इस्ररालियों के तौर तरीके नहीं हैं। यही कारण है कि गलीलिया से मुक्ति विधान के इतिहास में कोई विशेष चीज की आशा नहीं की जाती है। इसके बावजूद हम वहाँ से “ज्योति” के विस्तार, येसु ख्रीस्त की ज्योति की चर्चा सुनते हैं जो इसके सीमान्तों को अपने में भर लेती है।

येसु का प्रेरितिक कार्य योहन बपतिस्ता के प्रवचनों की झलक हमें देता है जहाँ वे स्वर्गराज्य की घोषणा करते हैं। इस राज्य की स्थापना का संबंध राजनीतिक शक्ति की स्थापना से नहीं अपितु ईश्वर और उनके लोगों बीच एक विधान की स्थापना से है जिसके द्वारा न्याय और शांति की स्थापना की जायेगी। ईश्वर के साथ इस संबंध को सुदृढ़ बनाने हेतु हम प्रत्येक जन को अपने में पश्चाताप करते हुए परिवर्तन लाने की जरूर है जो हमें अपने सोचने-विचारे और अपने जीवन जीने के तरीके को बदलने की बात कहता है। संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हम अपने रहन-सहन को नहीं वरन अपने सोच-विचार में परिवर्तन लायें। अतः यह हमारे परिधानों में परिवर्तन की बात नहीं करता वरन हमारी आदतों में परिवर्तन लाने का आहृवान करता है। योहन और येसु के सुसमाचार प्रचार में अन्तर इस बात का है कि येसु एक गतिशील नबी हैं जो लोगों के बीच जाना पसंद करते हैं। वे लोगों को अपने पास आने का इंतजार नहीं करते हैं वरन वे स्वयं उनके जीवन का अंग बनते हैं। वे सदैव भ्रमण करते हुए पाये जाते हैं। उनके प्रेरितिक कार्य का प्रथम प्रतिफल हमें गलीलिया के समुद्र तट पर देखने को मिलता है जहाँ वे विशेष रुप से मछुवारों से मिलते हैं। येसु वहाँ न केवल ईश्वरीय राज्य के आने की चर्चा करते बल्कि अपने प्रेरिताई, मुक्तिविधान कार्य में सहायक अपने मित्रों की भी खोज करते हैं। वे यहाँ दो भाई के समुह, सिमोन और अन्द्रेयस, जेम्स और योहन को पाते हैं और उन्हें करते हैं, “मेरे पीछे चले आओ मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुवारे बनाऊँगा।” येसु का यह बुलावा उनके लिए उस समय होता है जहाँ वे जीवन के महत्वपूर्ण रोजदिनी कार्यों में अपने को व्यस्त पाते हैं। येसु हमें भी अपने जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों के दौरान अपने को असाधारण रुप में व्यक्त करते हैं। जब हम येसु की बातों को सुनते तो अपने जीवन में उनके प्रेम का अनुभव करते और यह हमारे जीवन में परिवर्तन लाता है। येसु के वे चारों शिष्य शीघ्र ही अपना सब कुछ छोड़कर येसु के पीछे हो लेते हैं। हम जानते हैं कि वे योहन बपतिस्ता के शिष्य हैं जिन्हें योहन ने येसु के बारे में साक्ष्य दिया था।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तियों के रूप में हम आज अपने विश्वास की घोषणा करते और येसु का साक्ष्य देते हैं क्योंकि यह हमारे लिए सुनाया गया है। सुसमाचार की इस घोषणा को नम्र और साहसी लोगों हेतु सुनाया गया जिन्होंने उदारता पूर्वक इसका प्रति उत्तर येसु को दिया। गलीलिया झील के तट पर येसु ने अपने पहले समुदाय की स्थापना की। इस नये समुदाय की शुरूआत का एहसास हमें अपने जीवन के किसी भी परिस्थिति में सुसमाचार के प्रति प्रेम, करुणा के भाव से सराबोर करता और इसकी घोषणा हम सभी जगह, सभी लोगों के लिए करते हैं जिसके द्वारा सुसमाचार का बीज बोया जाता और मुक्ति के फल संग्रहित किये जाते हैं।

माता मरियम अपने ममतामयी बिचवाई के द्वारा प्रेम और खुशी से हमें येसु के बुलावे को स्वीकार करते हुए हमें ईश्वरीय राज्य की सेवा में अपने को देने हेतु प्रेरित करे। इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा ने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना करने का आहृवान करते हुए कहा कि इस वर्ष ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना की विषयवस्तु  है “ईश्वर का प्रेम हमें मेल-मिलाप हेतु प्रेरित करता है।” उन्होंने कहा कि हम इस बुधवार को ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना का अंत रोम की चारदीवारी से बाहर संत पौलुस के महागिरजाघर में करेंगे। मैं आप से निवेदन करता हूँ कि आप ख्रीस्त एकता हेतु अपनी प्रार्थना जारी रखें जिससे येसु की अभिलाषा, “हम सब एक हो।” पूरी हो सके।

अपने संबोधन के अंत में संत पापा ने केन्द्रीय इटली के आबोसो, मारके और लाजो में हुए हिमस्खलन से पीड़ितों लोगों हेतु अपनी स्नेह और संवेदना अर्पित की तथा राहत कार्य में संलग्न लोगों हेतु कृतज्ञता के भाव अर्पित किये। उन्होंने सभी पीड़ितों को माता मरियम के हाथों में सुपुर्द करते हुए विश्वासी समुदाय के साथ प्रमाण मरियम प्रार्थना का पाठ किया तत्पश्चात सभी विश्वासियों और तार्थयात्रियों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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