2017-01-14 15:34:00

ग्लोबल फाउंडेशन के गोलमेज के प्रतिभागियों को संत पापा फ्राँसिस का संबोधन


वाटिकन सिटी, शनिवार 14 जनवरी 2017 (सेदोक) : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 14 जनवरी को वाटिकन के कार्डिनल भवन मंडल में ग्लोबल फाउंडेशन के गोलमेज के प्रतिभागियों को संबोधित किया।

संत पापा ने ग्लोबल फाउंडेशन के रोमन गोलमेज सम्मेलन के इस नए संस्करण के लिए एकत्रित सदस्यों के साथ मिलकर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि फाउंडेशन के आदर्श वाक्य ″ वैश्विक सार्वजनिक भलाई हेतु हमारा प्रयास″ से प्रेरित होकर आप यहाँ न्यायसंगत तरीके से वैश्वीकरण को प्राप्त करने हेतु विचार विमर्श करने उपस्थित हुए हैं। यह आपसी सहयोग और सकारात्मक विचार है जो उदासीनता के वैश्वीकरण का विरोध करता है। आप संस्थाओं, एजेंसियों और नागर समाज के प्रतिनिधियों से बने वैश्विक समुदाय द्वारा प्रभावी ढंग से अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों और दायित्वों को प्राप्त करना चाहते हैं जैसे 2030 एजेंडा के तहत सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति।

संत पापा ने कहा, ″सबसे पहले मैं अपने दृढ़ विश्वास को फिर से बयान करना चाहता हूँ कि विश्व आर्थिक प्रणाली विश्व व्यापार और अन्य संगठनों की दुनिया से तैयार मापदंड के अनुसार पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को बहिस्कृत कर दिया है क्योंकि वे उन्हें उपयोगी व उत्पादक नहीं मानते हैं, यह अस्वीकार्य है क्योंकि यह अमानवीय है। किसी भी राजनैतिक और आर्थिक व्यवस्था में व्यक्तियों के लिए चिंता का विषय है यह अमानवीयता का संकेत है। वे लोग जो शरणार्थियों, गलियों  में जीने वाले बच्चों, गरीबों को तिरस्कृत करने और नकारते हैं, अपने आप को आत्माहीन मशीन बना लेते हैं। वे परोक्ष सिद्धांत को स्वीकार करते हैं कि वे भी आज नहीं तो कल उपयोगी और उत्पादक नहीं होने पर समाज से खारिज कर दिये जाएंगे।

1991 में, संत जोन पॉल द्वितीय द्वारा दमनकारी राजनीतिक व्यवस्था के पतन तथा बाजार के प्रगतिशील एकीकरण के जवाब में वैश्वीकरण की माँग हुई । इसके द्वारा पूंजीवाद की विचारधारा व्यापक हो जाने के खतरे को चेतावनी दी गई। संत जोन पॉल द्वितीय ने ऐसी आदर्श आर्थिक प्रणाली की माँग की थी जो सही रुप में आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए उचित मार्ग को प्रस्तावित कर सके, पर उसो स्पस्ट रुप से नकारात्मक जवाब मिला। संत जोन पॉल द्वितीय को परेशान करने वाली बातें आज काफी हद तक समाप्त हो गई हैं। व्यक्तिगत और संस्थाओं के ठोस प्रयास द्वारा गैर जिम्मेदार वैश्वीकरण से उत्पन्न होने वाली बुराईयों को औंधा कर दिया गया है।

संत पापा ने कहा,″ कछ महीनों पहे मुझे कोलकाता की मदर तेरेसा को संत घोषित करने की खुशी मुझे मिली थी। वे हमारे समय की ‘प्रतीक’ और ‘आइकन’ हैं वे हमारे प्रयासों को स्मरण दिलाती और हमारा प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने गरीबों, मरने के लिए सड़कों के किनारे छोड़ दिये गये असहायों, अपंगों और अनचाहे अनाथ बच्चों में ईश्वर प्रदत्त महिमा को पहचाना और उनकी सेवा की। उसने शक्तिशाली दुनिया को गरीबों और परित्यक्त लोगों की आवाज को सुनने के लिए मजबूर कर दिया।

संत पापा ने कहा कि भाईचारे और सामूदायिक वैश्वीकरण का पहला मनोभाव होना चाहिए कि हम व्यक्तिगत रुप से गरीबों के प्रति उदासीनता की भावना से उपर उठें। हमें उनके प्रति दयालु बनना सीखना है। संत पापा ने कहा कि कलीसिया हमेशा से आशावान रही है क्योंकि उसे मानवीय शक्ति का ज्ञान है। वह ईश्वर और कई भले लोगों दवारा निर्देशित होती है अतः उन्होंने वैश्वीकरण को बढ़ावा देने के लिए कलीसिया की सामाजिक सेवा शिक्षण से प्रेरणा लेने हेतु प्रोत्साहित किया और उन्हें शुभकामनाएँ दी।








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