2017-01-13 15:34:00

विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा वर्ष 2018 के लिए ‘तैयारी दस्तावेज’ को प्रस्तुत करने हेतु संत पापा का युवाओं के नाम पत्र


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 13 जनवरी 2017 (सेदोक) :  संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार, 13 जनवरी विश्व के युवाओं को पत्र लिखकर सन् 2018 में होने वाले विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के लिए ‘तैयारी दस्तावेज’ की जानकारी दी। आगामी विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की विषय वस्तु "युवा, विश्वास और बुलाहट की पहचान" है।

संत पापा ने युवाओं को अपनी आत्मीयता प्रकट करते हुए लिखा, ″मुझे यह घोषणा करते खुशी हो रही है कि सन् 2018 में विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा होगी जिसकी विषय वस्तु "युवा, विश्वास और बुलाहट की पहचान" है। आज ‘तैयारी दस्तावेज’ को प्रस्तुत किया जा रहा है, इस दस्तावेज को मैं आप लोगों के लिए विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की यात्रा हेतु अपने "कंपास" के रूप में सौंप रहा हूँ।″

संत पापा ने लिखा कि वे अब्राहाम को याद करते हैं जिसे ईश्वर ने आज्ञा दी थी, ″ अपना देश, अपना कुटुम्ब और अपने पिता का घर छोड़ दो और उस देश जाओ, जिसे मैं तुम्हें दिखाउँगा।( उत्पत्ति 12.1)। संत पापा ने कहा कि ईश्वर आज आप सबों को एक नये भविश्य की खोज में आगे बढ़ने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। आप ईश्वर की वाणी को सुनें और उनपर विश्वास करते हुए जीवन यात्रा में आगे बढ़े। ईश्वर आपके साथ हैं।

ईश्वर ने अब्राहाम से कहा, ″जाओ″ , तो जरुर उसने अपने परिवार और दुनिया से अपना संबंध तोड़ने नहीं कहा होगा। ईश्वर की ओर से अब्राहाम को एक नये देश जाने के लिए एक सम्मोहक निमंत्रण के साथ एक चुनौती भी मिली और वे सब कुछ छोड़ कर नये देश की खोज में निकल पड़े। ‘नया देश’ आज हमारे लिए क्या है?  यह निश्चय ही एक ‘न्याय और समानता का समाज’ है और ऐसे समाज का निर्माण करने की आप इच्छा रखते हैं।

लेकिन दुर्भाग्य से आज ″जाओ″ का अलग अर्थ लिया जाता है जैसे, सत्ता के दुरुपयोग, अन्याय और युद्ध। आप में से बहुतों को हिंसा के खतरे से बचने के लिए अपने पैतृक भूमि से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उनका क्रंदन ईश्वर के पास उसी प्रकार जाता है जैसा इस्राइलियों ने फराऊन की दासता और अत्याचार से बचने का लिए ईश्वर के सामने बिलाप किया था।(निर्गमन 2.23)

संत पापा ने युवाओं को येसु के उन वचनों को भी याद दिलाया जिसे एक बार चेलों द्वारा पूछे जाने पर येसु ने कहा था,″ गुरु आप कहाँ रहते हैं ? येसु ने उत्तर दिया, ″ आओ और देखो (योहन 1.38)। मुझे विश्वास है कि दुनिया के भ्रम और शोर शराबों को बीच में भी आज प्रभु का बुलावा आपके दिल की गहराई में गूँज रहा है। आप आध्यात्मिक गुरुओं से ईश्वर की इच्छा को जानने और अपनी बुलाहट को पहचानने में मदद लें। इस अनिश्चित यात्रा में आप गिर भी जाऐं तो दयावान ईश्वर सदा आपको उठाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाएंगे।

संत पापा ने युवाओं को याद दिलाया कि क्राकोव में सम्पन्न हुए विश्व युवा दिवस के दौरान उसने बहुत बार प्रश्न पूछा था कि "क्या हम चीजों को बदल सकते हैं?" और आपलोगों ने चिल्लाया था : "हाँ" युवाओ यह आपकी आवाज थी। आप अन्याय और वैश्वीकरण की उदासीनता को कभी स्वीकार नहीं कर सकते। आप नबी येरेमियस के समान अपने अंदर की पुकार को सुनें। युवा येरेमियस को भी ईश्वर का अनुभव नहीं था। ईश्वर आप को आगे बढ़ने के लिए प्रात्साहित कर रहे हैं, ″ डरो मत........ क्योंकि में तुम्हें बचाऊँगा ।″ (येरेमियस 1.8)

आपकी उदारता, आपके प्रयास और परिवर्तन की इच्छा से एक बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सकता है। जब आपकी आत्मा आपको प्रभु का अनुशरण करने को कहती है तो उसकी आवाज सुनें और अविलंम्ब उनके पीछे चलें। कलीसिया आपकी आवाज, आपकी भावनाओं और आपके विश्वास, यहां तक कि आपके संदेहों और आलोचनाओं को सुनना चाहती है। आप अपनी आवाज को पूरे समुदाय और कलीसिया के चरवाहों को सुनायें।

सेंट बेनेदिक्त ने मठाधीशों को कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले युवा मठवासी का भी परामर्श लेने का आग्रह किया क्योंकि "प्रभु अक्सर जो सबसे अच्छा है उसे युवा को प्रकट करता है।" (संत बेनेदिक्त का नियम, 111,3)

संत पापा ने विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में धर्माध्यक्षों के साथ काम करने की खुशी जाहिर करते हुए उन्हें नाजरेथ का माता मरियम के सिपुर्द किया जिन्होंने स्वंय खुशी और उदारता के साथ ईश्वर की पुकार को ″ मैं हाजिर हूँ।″ (लूकस 1.38) कहकर स्वीकार किया, आप सबकी अगुवाई करें।

 








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